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उत्तराध्ययन नियुक्ति तेतीसवां अध्ययन
पैतीसवां अध्ययन ५२२-५२४. कर्म शब्द के निक्षेप और उसके भेद-प्रभेदों ५४१,५४२. अनमार शब्द के निक्षेप, उसके भेद-प्रभेदों का का उल्लेख ।
उल्लेख तथा भाव अनगार का स्वरूप । ५२५-५२७. प्रकृति शब्द के निक्षेप तथा उसके भेद-प्रभेदों ५४३. मार्ग और गति के निक्षेप के पूर्वोल्लेख का का उल्लेख ।
निर्देश । ५२८.
कर्म प्रकृतियों के संवरण तथा निर्जरा का तीसवां अध्ययन उपदेश ।
५४४,५४५. जीव शब्द के निधोप, उसके भेद-प्रभेद तथा चौतीसवां अध्ययन
भाव-जीव के दस परिणामों का उल्लेख । ५२९,५३०. लेश्या शब्द के निक्षेप तथा उसके भेद-प्रभेदों ५४६,५४७. अजीव शब्द के निक्षेप, उसके भेद-प्रभेद का उल्लेख ।
तथा भाव-अजीव के दस परिणामों का ५३१. जीवलेश्या के भेद ।
उल्लेख। ५३२,५३३. अजीवद्रव्यलेश्या के दस प्रकार तथा उनके ५४८,५४९. विभक्ति शब्द के निक्षेप तथा उसके भेदनामोल्लेख ।
प्रभेद । द्रव्यकर्मलेश्या के कृष्ण, नील आदि छह ५५०. सिद्ध आदि की विभक्ति का निरूपण । प्रकार।
भावविभक्ति का उल्लेख तथा प्रस्तुत अध्ययन ५३५,५३६. भावलेश्या के प्रकार और उनका स्वरूप ।
में दयविभक्ति के अधिकार का उल्लेख। ५३७. नोकर्मथ्यलेश्या के भेद ।
५५२,५५३. उत्तराध्ययन को पढ़ने के अधिकारी और ५३८. अध्ययन शब्द के निक्षेप तथा भेद-प्रभेद ।।
अनधिकारी भाष अध्ययन का स्वरूप ।
५५४.
गुरु प्रसाद से इसका सांगोपांग अध्ययन ५४०. अप्रशस्त लेश्या को छोड़कर प्रशस्त लेश्या में
संभव। यत्न करने का निर्देश ।