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विधान
भावभौम का स्वरूप तथा कंशी शब्द के निक्षेप
४४८. केशीगौतम अध्ययन का निश्क्त । ४४९४४१. केसी गौतम के संवाद के विषयों का संकेत । मोमोस अध्ययन
४१२,४५३. प्रवचन शब्द के निक्षेप और उसके भेदप्रभेद ।
४२४,४५५ माता शब्द के निक्षेप और उसके भेदप्रभेद
प्रवचनमाता अध्ययन का नियक्त ।
४४७.
४५६.
पच्चीसवां अध्ययन
४५०, ४५. यश सब्द के निरुक और उसके भेद-प्रभेद । ४४९. मशीय अध्ययन का निषक्त । ४६०-४०६. जयघोष और विजयघोष मुनि की कथा ।
godieaf अध्ययन
४७७,४७८. साम शब्द के निक्षेप तथा उसके भेद प्रभेद । ४७८१२. सामाचारी के दग भेदों का नामोल्लेख ४०९,४५०. आचार शब्द के निक्षेप तथा उसके भेदप्रभेद ।
४=१. सामाचारी अध्ययन का निरक्त
सलाईसवां अध्ययन
४.२, ४०३. खक शब्द के निक्षेप तथा उसके भेद प्रभेद ।
चक (दुष्ट) बैल के लक्षण ।
द्रव्य खलंक का स्वरूप |
वक कभी ऋजु नहीं हो सकते।
४८७.
अविनीत शिष्य को मच्छर आदि की उपमा | ४००, ४०९. खक - अविनीत शिष्य के लक्षण | वसुं भाव को छोड़कर ऋणु बनने की प्रेरणा । अट्ठाईस अध्ययन
४९०.
४६४.
४८५.
४८६.
४९१.४९२. मोक्ष शब्द के निक्षेप तथा उसके भेद-प्रभेदों का वर्णन । ४९३,४९४. मार्ग शब्द के निक्षेत्र तथा उसके भेद-प्रभेदों का वर्णन ।
१११
४९५.४९६. गति शब्द के निक्षेप तथा उसके भेद-प्रभेदों का वर्णन ।
४९७. मोक्षमागति अध्ययन का निरुक्त। उनतीसवां अध्ययन
प्रस्तुत अध्ययन के तीन नाम ।
४९८. ४९९,५०० अप्रमाद शब्द के निक्षेप, उसके भेद-प्रभेद तथा भाव अप्रमाद का स्वरूप ।
२०१,५०२. त य के निक्षेप तथा उसके भेद-प्रभेद । भावश्रुत के प्रकार ।
५०३.
५०४.
अप्रमाद अध्ययन के नाम की सार्थकता । तीसवां अध्ययन
५०५,५०६.
५०७.
५०८.
इकतीसवां अध्ययन
५०९,५१०. चरण शब्द के निक्षेप तथा उसके भेद-प्रभेदों का उल्लेख ।
२११,५१२ विधि शब्द के निक्षेप तथा उसके भेदप्रभेद |
५१३.
५१६.
५१७.
बत्तीसवां अध्ययन
५१४,५१५ नाव शब्द के निक्षेप तथा उसके भेद
प्रभेद
स्थान शब्द के पन्द्रह निक्षेष ।
प्रमाद को छोड़कर अप्रमत्त रहने का निर्देश ।
५१८.
शब्द के निक्षेप उसके भेद-प्रभेद तथा भावतप के प्रकार ।
मार्ग और गति के निक्षेप का पूर्वोल्लेख तपोमार्गगति अध्ययन का निरुक्त।
५१९.
५२०. ५२१.
चरणविधि के अनुसार जागरण करने का निर्देश ।
हजार वर्ष उब तपश्चरण करने वाले आदिकर ऋषभ के एक अहोरात्र प्रमादकाल का कथन ।
भगवान् महावीर के साधिक बारह वर्ष के साधनाकाल में अन्तर्मुहूर्त काल मात्र के
प्रमाद का कथन ।
प्रभाव से संसार भ्रमण ।
प्रमाद को छोड़कर ज्ञान, दर्शन, चारित्र में अप्रमत रहने का निर्देश |