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चौदहवां अध्ययन
३५३,२५४.
प्रभेद ।
२५५. इकारीय अध्ययन का निक ३५६-३६६. इषुकार आदि के पूर्वभव तथा वर्तमान भव के कथा-संकेत ।
पन्द्रहवां अध्ययन
२६७,२६८. शब्द के निशेष, उसके भेद-प्रभेद तथा निरुक्त।
३६९,२७०. द्रव्यमेता और भावभेा ।
३७१.
३७६.
३७७.
३७२.
सोलहवां अध्ययन
३७३. एक शब्द के सात निक्षेप ।
३७४.
३७५.
३७८.
शब्द के निक्षेप तथा उसके भेद
३८१.
३८२.
राग, द्वेष, विरुवा आदि आठ पदों की (क्षुधा ) संज्ञा ।
उत्तम भिक्षु की पहचान ।
३७९.
सतरहवां अध्ययन
३८०
३८३.
३८४.
दश शब्द के निक्षेप तथा उसकी व्याख्या | ब्रह्म शब्द के निक्षेप तथा द्रव्यब्रह्म का
स्वरूप ।
भावब्रह्म का स्वरूप और वर्जनीय स्थान | चरण शब्द के छह निक्षेप तथा द्रव्यचरण आदि का स्वरूप |
समाधि के निक्षेप तथा इव और भावसमाधि का स्वरूप ।
स्थान शब्द के पन्द्रह निक्षेप ।
पाप शब्द के निक्षेप तथा द्रव्यपाप आदि का स्वरूप ।
भावपाप का स्वरूप ।
श्रमण शब्द के निक्षेप तथा द्रव्य और भाव
श्रमण का स्वरूप |
reeमण कौन ?
पापस्थान वर्जन का फल ।
अठारहवां अध्ययन
२०५३०६. संजय शब्द का निक्षेप तथा उसके भेद । ३८७. संगतीय अध्ययन का निरुत
उत्तराध्ययननिकि
३८-३९८ नरपति 'संजय' की जीवन कथा, आपार्य गर्दभाली का प्रतिरोध और महाराज संजय की प्रव्रज्या । उन्नीसवां अध्ययन
३९९,४००. मृग शब्द के निक्षेप तथा उसके भेद प्रभेद । ४०१. भावमृग का वर्णन तथा पुत्र शब्द के निक्षेप ।
४.२.
मृगापुत्रीय अध्ययन का निरुक्त | ४०२-४१५. मृगापुर का जीवनवृत्त अतिस्मृति से बोधिलाभ, माता-पिता की अनुजा से संयमग्रहण, उत्कृष्ट श्रामण्य का पालन, मोल
गमन ।
बीसवां अध्ययन
४१६. शुल्क और महत् शब्द के निक्षेप । ४१७,४१८. निर्भय शब्द के निक्षेप तथा उसके भेदप्रभेद।
४१९-४२१. निर्यय के प्रज्ञापना, वेद आदि ३७ द्वार ४२२. महानियंग्यीय अध्ययन का निष्कर्ष । इक्कीसवां अध्ययन
४२३.
समुद्रपाल शब्द के निक्षेप तथा भेद-प्रभेद | ४२४. समुदपाली अध्ययन का निरुक्त। ४२५-४३६समुद्रपाल की जन्मकथा, विवाह, वैराग्यत्त्यति का कारण, दीक्षा तथा मोक्षप्राप्ति।
बावीसवां अध्ययन
४३७, ४३८. रथनेमि शब्द के निक्षेप तथा उसके भेदप्रभेद ।
४३९.
रमनेोमीय अध्ययन का निश्क
४४०, ४४१, रथनेमि के माता, पिता, भाई आदि के
नाम ।
अरिष्टनेमि तीर्थकर | रथनेमि और सत्यनेमि दोनों प्रत्येक बुद्ध
४४३, ४४४ रथनेमि तथा राजीमती का पर्याय-परिमाण आदि । तेवीसवां अध्ययन
४४५, ४४६. गौतम शब्द के निक्षेप तथा उसके भेदप्रभेद ।
४४२.