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उन्होंने स्वीकार नहीं किया था। सिंह जैसे वन के किसी भी विभाग में प्रतिबंध रहित चरता है वैसे ही परमात्मा अप्रतिबंध विहारी होते है। चलीए परमवनविहारी पुरुषसिंह परमात्मा के आश्रित और शरणागत होकर, परमस्वामी के अनुगामी होकर उनके पीछे पीछे चलते हैं। अब हम वन विभाग के उस उपवन में पहुंच रहे है जहाँ बहुत बडा जल सरोवर हैं । सरोवर के तट पर प्रभात की सुनहरी किरणों के साथ कल हम वन विहार करते है। हमारी कल की प्रभात हमें अद्भुत दर्शन कराएगी। स्वच्छ निर्मल पवित्र होकर पुरिससीहाणं के मंत्रोच्चार के साथ कल के लिये तैयार रहे।
।।। नमोत्थुणं पुष्टिसासीहाण ।।। ।। नमोत्युणं पुरिसासीहाण ।।। ।। नमोत्थुणं पुष्टिसासीहाण ।।।