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नमस्कार करते हैं। गणधर भगवंतो द्वारा प्रदत्त नमोत्थुणं सूत्र से हमारे योगबल को अनुग्रहमय बनाए। आँखे बंद कर, सीधे बैठकर, देह को शिथिल कर चिंतन करो कि मेरा यह देह मिट्टि का दीपक है। उसमें श्रद्धा का तेल और विश्वास की बाती भरकर नमोत्थुणं द्वारा परमात्मा को नमस्कार करते हुए गणधर भगवंत से प्रार्थना करते है - हे परम गणधर भगवंत! परमात्मा के परमज्योत के साथ मेरी आत्मज्योत का स्पर्श करा दो। मुझे स्पर्श दीक्षा दो हे लोकप्रदीपनाथ! पधारो मेरे आत्मदीप में स्पर्श करो मेरी चेतना का मेरे सुने शाश्वत स्वरुप में प्रगट हो जाओ। ज्योत जला दो। प्रदीप में प्रद्योत प्रगट करो और मेरे लोगपज्जोयगराणंबनकर मुझे उद्योतमय करो।
नमोत्युणं लोगपहवाणं..... नमोत्युणं लोगपहवाणं ..... नमोत्युणं लोगपहवाणं.....
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