________________
हूँ। अब तेरे इस पंकजवन में मुझे आश्रय दो। मेरे भव, भय और भ्रम को मिटा दो। समर्पण का स्वीकार करके मुझे अपने चरणों में सम्हालों। इसीतरह परमतत्त्व! मुझे देहजनित रोग से मुक्ति की याचना नहीं परंतु देह और आत्मा के भेद की अनुभूति की कामना है। मुझे स्व में स्थिरता और स्वस्थता चाहिए। आपके चरणकमल का पराग मुझे राग
और रोग से मुक्त कर रहा है। मुझे व्यक्ति रुप में होते हुए भी आप परमशक्ति की मुझमें अनुभूति हो रही है। मंत्र लीजिए मुक्ति दीजिए। देखिए अब हमारा मंत्र सुनकर परमात्मा किस रुप में हमारे पास आते हैं और हमें मोक्ष मार्ग की ओर आगे बढ़ाते हैं।
।।। नमोत्थुणं पुष्टिसवर पुंडटियाणं ।।। ।।। नमोत्युणं पुरिसावष्ट पुंडटियाणं ।। ।।। नमोत्थुणं पुरिसवष्ट पुंडटियाणं ।।।