Book Title: Karmagrantha Part 1
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 17
________________ गाथा ४६ अस' नामकर्म का लक्षण व भेद बादर नामकर्म की व्याख्या पर्याप्त नामकर्म की व्याख्या पर्याप्त नामकर्म के भेद और उनके लक्षण पर्याप्त जीवों के भेद गाया ५० प्रत्येक नामकर्म का लक्षण स्थिर नामकर्म का लक्षण शुभ नामकर्म का लक्षण सुभग नामकर्म का लक्षण गाथा ५१ स्वर नामकर्म का लक्षण are नामक का लक्षण यशःकीलि नामकर्म का लक्षण स्थावरदशक की प्रकृतियों के नाम और उनके लक्षण गाथा ५२ ( १७ ) गोकर्म का लक्षण व क्षेत्र अन्तरात्रकर्म का लक्षण व भेद गाथा ५.३ अन्तरायकर्म का दृष्टान्त गाथा ५४ ज्ञानावरण, दर्शनाय रण कर्मबन्ध के विशेष कारण और उनकी व्याख्या पृष्ठ १३२-१३७ १३२ १३२ १३४ १३५ १२.७ १३७-१३८ १३८ १३८ १३८ १३८ १३८-१४२ १३६ PRA १३६ १४० १४२-१४५ ૪૬ १४४ १४५ - १४६ १४५ १४६-१४८ १४६

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