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समीक्षा
rnev... .wwwrrrrrrr.com मिण्या ऐमा कैसे कहा जा सकता है ? जबकि अंश अंशी अभेद रूप है इसलिये यदि असदभूत व्यवहार नय अभूतार्थ है तो इमके ममान सद्भुत व्यवहार नय भी अभूतार्थ है ऐमा मानना पड़ेगा । जब व्यवहार नयके दोनों अंश मिथ्या सिद्ध होते है तब ब्यवहार नय म्वतः मिथ्या सिद्ध हो जाता है । क्योंकि अंश मिया मिद्ध होने पर अंशो सम्यक नहीं रह सकता । __ शंकाकार को शंका ठीक नहीं है व प्रमाण वाधित है । क्योंकि प्रत्यक्ष थमा देखने में आता है कि उपादान शुद्ध है। उसकी पर्याय अशुद्ध है तथा जिसका ट्रय अशुद्ध है उसकी पर्याय शुद्ध है यह वन्तुका परिणभन्न है यह किसी के वशकी बात नहीं है। गाय का द्रव्य अशुद्ध है उसके दृध गोरोचन गोवर पूछके वालोंकी ययाय शुद्ध है । दूध गोरोचन खानेके काममें आता है गोदर पाकादिक काममें आता है पूछके वालोंका चमर बनता है। तथा हाथाका द्रव्य शुद्ध है उनका मोती तथा दांतकी पर्याय शुद्ध है । मोतीयोंकी प्रतिमा तक वनती है और पूजी जाती है तथा दांतोंकी अनेक प्रकारकी चीजें बनती है वह सब व्यवहार में लाई जाती है तथा सीप और शंखका द्रव्य अशुद्ध है उसकी मोती शुक्ती शंख पर्याय शुद्ध है । सांप का द्रव्य अशुद्ध है उसकी मणी पर्याय शुद्ध है गंडे का द्रव्य अशुद्ध है उसकी सींग पर्याय शुद्ध हे । इत्यादि तथा अन्न व दुग्ध मेवा मष्टान्न आदि पदार्थ शुद्ध उसकी मल मूत्रादि पर्याय अशुद्ध है। तथा एक वृक्षकं अंगनाना रूप है । कोई शांग विष रूप है तो कोई अंग अमृत रूप है । अर्थात जिन वृक्षका पत्ता अमृत रूप है तो उसका फल विष रूप है उदाहरण---अफीम के वृक्ष के पत्तोंकी भाजी बनती है वह स्वादिष्ट और गुणकारी है तथा उसके फल उसका अफीम बनता है वह विष तुल्य है और उम फलका चीज
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