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जैन तत्व मीमांग की
आप घुमाफिरा कर उसी की पुष्टि करते हैं : उनसे उतना बुरा नही होगा क्योंकि वे विधर्मी हैं किन्तु उनसे श्रमख्यातगुणा बुरा आपसे होगा क्यों कि आप स्वधर्मी है। ___यह कहावत है कि बाहर के शसे जो हानि नहीं होती वह हानि बरके शत्रुसे महज में हो जाती है . "घर फूटे रावण मरे" यह कहावत असत्य नहीं है पंडितजी पाप करना उतना बुरा नहीं है जितना बुरा पापको पीठ ठोकना है। "वसु झूठसेती नर्क पहुंचा” क्या वतु भूठ वालनेसे नर्क गया था नहीं परन्तु पशु यज्ञका समर्थन किया इसलिये तो नर्क गया । यह वात आप अच्छी तरह जानते हैं फिर भी छाप जानबूझकर गढे में पड़ते हैं यहवड़े आश्चर्यकी बात है। इस विषयमें स्व. पं० टोडरमलजीने मोक्षमार्गप्रकाशक पृष्ठ ५६ में जो लिखा है उस पर विचार करिये । और सत्य मार्ग पर आइये । ___"असत्यार्थ पदनिकी रचना अति तीव्र कषाय भये विना वन नाहीं । जातें जिस असत्य २ चना करि परंपरा अनेक जीवनिका महावुरा होइ । आपको ऐसी महाहिसा फलकरि ननिगोदविधे गमन करना होय सो ऐसा महा विपरीत कार्य क्रोध मान माया लोभ अत्यंत तीत्र भये ही होय"
स्कूल में पढ़नेवाले वालकोंकी वाह्य सामग्री एकसी होनेपर भी एक्सा क्षयोपशम नहीं होता इस वातको सप्रमाण ऊपर में सिद्ध किया जाचुका है। फिरभी स्व० ५० टोडरमल जीके वचनोंसे और
भी तसल्ली करा देते हैं। ___ "इहां इतना जानना-इस जीवके समय : प्रति अनंत परमाणु बन्धे हैं तहां एक समय विषे वन्धे परमाणु ते आबाधाकाल छोडकर अपनी स्थितिके जेते समय होय तिनि विषे क्रमतें उदय श्रावे है बहुरि बहुत समय विधे बन्धे परमाणु जे एक समय विषे उदय
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