Book Title: Jain Tattva Mimansa ki Samiksha
Author(s): Chandmal Chudiwal
Publisher: Shantisagar Jain Siddhant Prakashini Sanstha

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Page 375
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Acharya Shr जिनवाणी प्रार्थना जिनवाणो माता ! रतन वय निधि दीजिये । मिथ्या दर्शन ज्ञान चरण में, काल अनादी घूमे । सम्यग्दर्शन भयो न तातै, दुख पाये दिन दूने ।। जिनवाणी माता ! रतनत्रय निधि दीजिये। है अभिलाषा सम्यग्दर्शन, ज्ञान, चरण दे माता॥ पावें हम निज सरूप अपनो भव-भव हो सुखसाता । जिनवाणी माता ! रतनत्रय निधि दीजिये । जीव अनन्तानन्त पठाये, स्वर्ग मोक्ष में तूने । अब है बारी हम जीवों की होवें कर्म बिहूने ॥ जिनवाणी माता ! रतनत्रय निधि दीजिये। भव्यजीव हैं सुपुत्र थारे चहुँगति दुख से हारे ।। इनको जिनवर बना शीघ्र अब देदे गुण गण सारे जिनवाणी माता ! रतनत्रय निधि दीजिये। औगुण तो अनेक होते हैं बालक में ही माता। पें जब माता पाई तुमसी क्यों न वने गुण ज्ञाता ।। जिनवाणी माता ! रतनत्रय निधि दीजिये। क्षमा क्षमा हों क्षमा हमारे दोष अनन्ते भव के ॥ सुखका मार्ग बतादो माता-लेहुँ शरण में अबके । जिनवाणी माता ! रतनत्रय निधि दीजिये ।। जयवन्तो जग में जिनवाणी मोक्षमार्ग परिवरतो। श्रावक हो 'जयकुंवर' वीन पद दे अजर अमरतो ॥ For Private And Personal Use Only

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