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समीक्षा
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समाप्त होगया इसलिये मोटर रुक गई यह बात सच नहीं है। किन्तु वह अपनी योग्यतासे रुकी है। "सूर्यका उदय हुआ इसलिये धूप होगई यह वात मिथ्या है"
वस्तुविज्ञान पृष्ठ ४४ "पति पत्नी ब्रह्मचर्य पालन करते हैं इसलिये पुत्र होनेका निमित्त नहीं मिला यह मान्यता मिथ्या है क्यों कि पुत्र अपनी योग्यतामे ही होगा।
वस्तु वि० पृ० ४१ "गुरुके निमित्तमे श्रद्धा-सम्यक्त्व नहीं किन्तु स्वयं अपनी योग्यतासे होती है।
"शास्त्रके निमित्त से ज्ञान नहीं होता है किन्तु वह अपनी योग्यतासे होता है लकडीको मेरा हाथ उठाता है तब वह ऊपर उठती है यह ठीक नहीं, लकडी स्वयं अपनी योग्यतासे ऊपर उठती है।
वस्तुवि० पृष्ठ ३६ क्या इसे श्रुतकेवलीका वचन कहें या मतवालेकी वहक ? पुरुषके संयोग बिना ही पुत्र अपनी योग्यतासे स्वयं स्त्रीके टपक जायगा ? अथवा लकडीको उठाये विना स्वयं अपने आप अपनी योग्यतासे ऊपरको उठ जायगी ? अथवा पेट्रोलके विना भी अपनी योग्यतो से ड्राइवरके चलाये विना भी मोटर चलने लग जायगी अथवा सूर्यके विना भी अपनी योग्यतासे स्वयं धूप होजायगी ? अथवा अनादि मिथ्या दृष्टि जीवके अपनी योग्यतासे विना गुरु उपदेशके सम्यक्त्वको प्राप्ति स्वयमेव होजायगी ? कदापि नहीं
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