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गणश
तन्त्र सम्बन्धी कुछ महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ एवं निबन्ध (१) महामहोपाध्याय हरप्रसाद शास्त्री द्वारा उपस्थापित नेपाल की दरबार लाइब्रेरी में ताड़पत्र एवं कागद की
पाण्डुलिपियों की नामावली (कटॉलॉग), १६०५ । (२) तारानाथ की 'हिस्ट्री आव बुद्धिज्म इन इण्डिया'; ए० शीफनर द्वारा जर्मन में अनुवाद (सेण्ट पीटर्सबर्ग,
१८६६) । इण्डियन ऐण्टिक्वेरी (जिल्द ४,१०१ एवं ३६१) में इसके कुछ अंश अंग्रेजी में हैं । (३) एल० ए० वड्डेल द्वारा 'लामाइज्म' (एलेन एण्ड कम्पनी , लन्दन , १८६५) । (४) बुस्टोन कृत 'हिस्ट्री आव बुद्धिज्म इन इण्डिया एण्ड तिब्बत', डा० ई० ओवरमिलर द्वारा अनूदित । (५) एशियाटिक सोसाइटी आव बंगाल की लाइब्रेरी में पाण्डुलिपियों की वर्णनात्मक नामावली, जिल्द ८,
इसमें ८६२ पृष्ठों में ६४८ पाण्डुलिपियों का वर्णन है।। (६) भाण्डारकर कृत 'वैष्णविज्म, शैविज्म आदि' (कलेक्टेड वर्कस, जिल्द ४, पृ० २०२-२१०, शाक्तों पर) । (७) आर्थर एवालोन द्वारा महानिर्वाणतन्त्र का अनुवाद, भूमिका एवं टीका, १६१३ । (८) तान्त्रिक टेक्ट्स , आर्थर एवालोन द्वारा संपादित, जिल्द १ से लेकर २२ तक, भूमिकाएं, टिप्पणियाँ,
विश्लेषण आदि । (६) सर्पेण्ट पावर, ए० एवालोन कृत (१६१४); इसमें षट्-चक्र-निरूपण एवं पादुकापञ्चक के अनुवाद हैं ;
गणेश एण्ड कम्पनी, मद्रास द्वारा, पांचवां संस्करण, १६५३ । (१०) 'प्रिंसिपुल्स आव तन्त्र', ए० एवालोन कृत; दो भागों में (१६१४ एवं १६१६); भाग-२ में लम्बी
भूमिका । (११) 'वेव आव ब्लिस', आनन्दलहरी (सौन्दर्यलहरी के ४१ श्लोक) का अनुवाद एवं टिप्पणियां, सर जॉन
वुडौफ (आर्थर एवालोन का नया नाम) द्वारा । (१२) 'वेव ऑव ब्यूटी, सौन्दर्यलहरी का अनुवाद (मूल एवं टीकाएँ), गणेश एण्ड कम्पनी, मद्रास, १६५७ । (१३) 'चक्रज' राइट रेवरेण्ड सी० डब्लू० लेडबीटर, अद्यार, १६२७, प्लेट भी हैं । (१४) 'शिवसंहिता', श्रीशचन्द्र विद्यार्णव द्वारा अनुवाद । (१५) 'थर्टी माइनर उपनिषद्स', के० नारायणस्वामी ऐय्यर द्वारा अनूदित । (१६) 'मिस्टीरिअस कुण्डलिनी', डा० वी० जी० रेले (१६२७) द्वारा । (१७) 'शक्ति और डिवाइन पावर', डा० सुधेन्दु कुमार दास द्वारा (कलकत्ता यूनि०, १६३४) । (१८) पी० सी० बागची की भूमिका, कुलार्णवनिर्णय (कलकत्ता सं० सीरीज, १६३४) । (१६) 'तिब्बतन योग एण्ड सीक्रेट डाक्ट्रिस', डब्लू० वाई० इवांस-वेंट्ज़ । आक्सफोर्ड यूनि० प्रेस (१९३५) । (२०) 'स्टडीज इन तन्त्रज', पी० सी० बागची कृत, कलकत्ता यूनि० (१६३६)। (२१) डा०बी० भट्टाचार्य की भूमिका, साधनमाला, जिल्द २ (गायकवाड़ ओरिएण्टल सी
ओरिएण्टल सीरीज), पृ० ११-७७; इसी विद्वान् की दो भूमिकाएँ : (१) गुह्यसमाजतन्त्र (गायकवाड़ ओरि० सी०) एवं 'बुद्धिस्ट इसोटेरिज्म (आक्सफोर्ड यूनि० प्रेस, १६३२) ।
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