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में लिखी सोही तेरह चंद्रमास के अति बर्द्धितसंबत्सर का प्रमाणको बारह भाग में करनेसे एक भाग में ३१।१५४।१२१ होता है सेही प्रमाण एक अभिवति मासका जानना, याने ३१ अहोरात्रि और एक अहोरात्रि के १२४ भाग करके उपरके तीन माग छोड़कर बाकी के १२९ भाग पाण करमा अर्थात ३१ दिन तथा ५८ घटीका और ३३ पलसे दश अपर उच्चार न्यून इतने प्रमाणका एक अभिवर्द्धित 'मास होताहै सो मवयवों के उच्चारणसे अभिवर्द्धित मास कहते हैं अर्थात् जिस संवत्सर में जब अधिक मास होताहै तब तेरह चंद्रमास प्रमाणे अनिवर्द्धित संवत्सर कहते है उसी के तेरहवा चंद्रमासके प्रमाणको बारह भागामें करके बारह चंद्रमासके साथ मिलामेसे बारह चंद्रमास में तेरहवा भधिकमासके प्रमाणेी (अवय ) की वृद्धिहुई इसलिये भवया उच्चारणसे मासका नाम अभिवद्धित कहाजाता है एसे बारह अनिवर्द्धित मासासे जो हुवा संवत्सरका प्रमाण उसीको अनिवर्द्धित संवत्सर कहतेहै परंतु अधिक • मासके कारणसे तेरी चंद्रमासाँसे अभिवर्द्धित संवत्सर होताह से गिमतीके प्रमाण मेंतो तेरहाही मास गिनेजावेंगे सोता श्रीप्रवचनसारोद्धार, श्रीचंद्रप्रज्ञप्तित्ति, श्रीसूर्यप्राप्ति वृत्ति श्रीसमवायांगजीसमक्षत्ति के जो पाठ उपरम उपगये है नपाठासे खुलासा दिखता है।।
और पांचाही प्रकारके मासके निज निज मास प्रमाण से मिज निज संवत्सरका प्रमाण तथा निज निज मासके और निज निज संवत्सरके प्रमाणसे पांच वर्षों से एक युगके १८३० दिनांकी गिनती का हिसाब संबंधी आगे यंत्र (कोष्टक) जिसनेमें मावेगें जिससे पाठक वर्गको सरलता पर्वक सदी बच्ची बरहले समसमें मासकेगा।
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