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[ २६० ] पन्यापानुसार दो भाचिननास होनेसें पर्युषणाके पिछाड़ी मालिक नक १०० दिन होते हैं जिसके ७० दिन अपनी कल्पनासें कहते हो सो भी प्रत्यक्ष अन्यायकारक उत्सूत्र भाषण है।
१० दशमा-जैन शास्त्रों में मास वृद्धिको बारह मासोंके जपर शिखररूप अधिक मासको कहा है और लौकिकमें भी पुरुषोत्तम अधिक मास कहा हैं इसलिये धर्मव्यवहारमें अधिक मास बारह मासोंसे विशेष उत्तम महान् पुरुषरूप है जिसको भी आप लोन नपुंसक निःसत्व सुच्छादि कहके भोले जीवोंके धर्मकार्यों में हानी पहुंचानेका कारण करते हो सो भी उत्सूत्र भाषण हैं।
- ११ इग्यारमा-अधिक मासको कालचूलाकी उत्तम • ओपमा गिनती करने योग्य शास्त्रकारोंने दिनी हैं तथापि आप लोग कालचूला कहनेसे अधिक मास गिनती में नही आता है ऐसा कहते हो सो भी उत्सूत्र भाषण है। ... १२ बारहमा-अधिक मासमें प्रत्यक्ष वनस्पति फलफूलादि प्रफलित होती है तथापि आप लोग नही फूलनेका कहते हो सो भी उत्सूत्र भाषण है । ... . १३ तेरहमा-अधिक मासके . कारणसे श्रीअनन्त तीर्थङ्कर गणघरादि महारोजोंने अभिवर्द्धितसंवत्सर तेरह 'मासोंका कहा है तथापि आप लोग अधिक मासको गिनतीमें निषेध करके श्रीअनन्त तीर्थङ्कर गणधरादि महारानोंका कहा हुवा अभिवर्द्धित संवत्सरका प्रमाणको तथा अभिवर्द्धित संवत्सरकी संज्ञाको नष्ट कर देते हो इसलिये श्रीअनन्त तीर्थङ्कर गणधरादि महाराजोंकी आशातना कारक
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