Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रकाशिका टीका-चतुर्थवक्षस्कारः सू० २३ सुदर्शनाजम्बूवर्णनम् । __२७१ योजनमुच्चः स्कन्धः त्रीणि योजनानि विडिमा सर्वाग्रेणोच्चैस्त्वेन सातिरेकाणि चत्वारि योजनानि, तत्रैका शाखा अर्द्धक्रोशहीने द्वे योजने दीर्घा, क्रोशपृथुत्वः स्कन्धः इति सर्वसंख्यया आयामविष्कम्भतश्चत्वारि योजनानि संपद्यन्ते, आसु जम्बुषु चानादृतदेवस्याभरणादिकं तिष्ठति, आसां वर्णक सूचनार्थमाह-'तासि णं वण्णओ' इति, 'तासिणं' तासांपूर्वोक्तानां जम्बूनां खलु 'वण्ण ओ' वर्णकः-वर्णनपरपदसमूहोऽत्र वक्तव्यः, स च मूलजम्बूवदेव बोध्यः ।
अथाऽऽसां यावत्यः पद्मवरवेदिकास्ता आह-'ताओ णं' इत्यादि-'ताओ णं' ता:अनन्तरोक्ताः खलु 'जंबू छहि' जम्ब्वः षभिः-पदसंख्याभिः 'पउमवरवेइयाहिं संपरिक्खित्ता' पद्मवरवेदिकाभिः सम्परिक्षिप्ताः-परिवेष्टिताः, प्रतिजम्बूतरु षट् षट् पद्मवरवेदिकास्तद्वेष्टनभूताः सन्तीत्यर्थः, एतासु जम्बूषु अत्रमूत्रे जीवाभिगमे बृहन्क्षेत्रविचारादौ सूत्रकृतो वृत्तिकृतश्च
योजन के ऊंचे हैं। तथा एक कोस का उसका अवगाह-ऊंडाई कही गई हैं । एक योजन के ऊंचाइवाले स्कंध तथा तीन योजन ऊंचाई वाली शाखाएं हैं सर्वात्मना ऊंचाइ कुछ अधिक चार योजन की हैं। उसमें एक शाखा देढ योजन की लंबी है। एक कोस की मोटाई स्कंध की है इस प्रकार सर्व प्रकार से आयाविष्कंभ चार योजन मिल जाता है, इस जंबू में अनादृतदेव के आभरणादि रहते हैं। इसका वर्णक सूचनार्थ कहते हैं-'तासिं णं वण्णओ' पूर्वोक्त जंबू के वर्णन पद परक पद समूह यहां पर कहलेवें । वह वर्णन पद परक पद मूल जंबू के वर्णन के जैसा समझलेवें। ___ अब इसकी जितनी पद्मवरवेदिका कही है उसको कहते हैं-'ताओ णं' पूर्वोक्त 'जंबू छहिं' जंबूवृक्ष छह 'पउमवरवेइयाहिं संपरिक्खित्ता' पद्मवरवेदिका से घिरेहुए हैं । अर्थात् वे प्रत्येक जंबू वृक्ष छह, छह पद्मवरवेदिका से घिराया हुआ है । इन जंबू में इस सूत्र में एवं जीवाभिगम की बृहत्क्षेत्र विचारादिमे ઉંડાઈ કહેલ છે. એક જન જેટલી ઉંચાઈવાળા સ્કંધ અને ત્રણ જન ઊંચાઈવાળી શાખા ડાળે છે. સર્વાત્મના ઉંચાઈ કંઈક વધારે ચાર યોજનની છે. તેમાં એક શાખા દેઢ જિન જેટલી લાંબી છે. સ્કંધની જાડાઈ એક કેસ જેટલી છે. આ રીતે સર્વ પ્રકારથી આયામ વિઝંભથી ચાર જન મળી જાય છે. આ જંબૂમાં અનાદત દેવના આભરણાદિ २३ छे. तेनु वन सूयना हे छे.-'तासिंगं वण्ण ओ' पूर्वाधत यू वन ५४५२४ ५६ સમૂહ અહીંયાં કહીં લેવાં આ વર્ણન પરક પદ મૂલ જંબૂના વર્ણનની જેમ સમજી લેવા.
तेनी रेसी ५५१२६४१ ४० छ तेनु थन ४३ छ.-'ताओ ण' पूर्वरित 'जंबू छहि' वृक्ष छ 'पउमवरवेइयाहि संपरिक्खित्ता' ५१२ ३६४ाथी घरायस छे. અર્થાત્ એ દરેક જંબૂવૃક્ષ છે, છ પદ્મવદિકાથી ઘેરાયેલ છે. આ જંબૂમાં આ સૂત્રમાં અને જીવાભિગમની બૃહક્ષેત્ર વિચારાદિમાં સૂત્રકાર તથા વૃત્તિકારે જનભવન અને ભવન
જમ્બુદ્વીપપ્રજ્ઞપ્તિસૂત્ર