Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 769
________________ ७५६ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्रे दीवे केवइया वासहरकूडा केवइया वक्खारकूडा केवइया वेयद्धकूडा केवइया मंदर कूडा पन्नत्ता ? गोयमा ! छप्पण्णं वासहरकूडा छण्णउई वक्खारकूडा तिणि छलुत्तरा वेयद्धकूडसया णव मंदरकूडा पन्नत्ता । एवामेव सपुव्वावरेणं जंबुद्दीवे चत्तारि सत्तसट्टा कूडसया भवंतोति मक्खायं । जंबुद्दीवे दीवे भरहेवासे कइ तित्था पन्नत्ता ? गोयमा ! तो तित्था पन्नत्ता तं जहा-मागहे वरदामे पभासे । जंबुद्दीवे दीवे एरवए वासे कइतित्था पन्नत्ता ? गोयमा ! तओ तित्था पन्नत्ता तं जहा-मागहे. वरदामे पभासे एवामेव सपुत्वावरेणं जंबुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे एगमेगे चकवटि विजए कइ तित्था पन्नत्ता ? गोयमा! तओ तित्था पन्नत्ता, तं जहा-मागहे वरदामे पभासे, एवामेव सपुवावरेणं जंबुद्दीवे दीवे एगे वि उत्तरे तित्थसए भवंतीति मक्खायति । जंबुद्दीवेणं भंते ! दीवे केवइया विज्जाहरसेढीओ केवइया आभियोग सेढीओ पन्नत्ताओ? गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे असटी विजाहरसेढीयो अटुसट्टी आभिओगसेढीयो पण्णत्ताओ एवामेव सपुत्वावरेणं जंबुद्दीवे दोवे छत्तीसे सेढिसए भवंतीति मक्खायं । जंबुद्दीवे दीवे केवइया चकवट्टि विजया केवइयाओ रायहाणीओ केवइयाओ तिमिसगुहाओ केवइयाओ खंडप्पवायगुहाओ केवइया कयमालया देवा केवइया णहमालया देवा केवइया उसभकूडा पन्नत्ता ? गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे चोत्तीसं तिमिसगुहाओ चोत्तीसं चक्क वटि विजया चोत्तीसं रायहाणीओ चोत्तीसं तिमिसगुहाओ चोत्तीसं खंडप्पवायगुहाओ चोत्तीसं कयमालया देवा चोत्तीसं णट्टमालया देवा चोत्तीसं उसभकूडा पव्वया पन्नत्ता । जंबुद्दीवे दीवे केवइया महदहा पन्नत्ता ? गोयमा ! सोलसमहद्दहा पन्नत्ता । जंबुदीवेणं भंते ! दीवे केवइयाओ महानदीओ वासहरपव्वहाओ केवइयाओ महाणईओ कुंडप्प. वहाओ पन्नत्ता ? गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे चोद्दस महाणईओ वासहर पवहाओ छावत्तरि महाणईओ कुंडप्पवहाओ, एवामेव सपुत्वावरेणं જમ્બુદ્વીપપ્રજ્ઞપ્તિસૂત્રા

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