Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 775
________________ ७६२ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्रे पूर्व पश्चिमस्तु यद्यपि खण्डगणित विचाराणा सूत्रे न कृता तावत् मुखादिभिरेव लक्षसंख्यापूर्तेः कथनात् तथापि खण्डगणितविचारे कृते यावन्त्येव भरतप्रमाणानि, तावत्संख्यकान्येव खण्डानि भवन्तीति प्रथम खण्डद्वारम् ॥ अथ योजनेति द्वारसूत्रमाह-'जंबुद्दीवेणं भंते !. दीवे' इत्यादि 'जंबुद्दीवे णं मंते ! दीवे' जम्बूद्वीपः खलु भदन्त ! द्वोपः सर्वद्वीपमध्यवर्ती जम्बूद्वीप इत्यर्थः 'केवइयं जोयणगणिएणं पन्नते' कियान् योजनगणितेन समचतुरस्रयोजनमाणखण्डसर्वसंख्यया प्रज्ञप्तः-कथित इति प्रश्नः, भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि, ‘गोयमा' हे गौतम ! 'सत्तेव कोडिसया' सप्तैव कोटिशतानि सप्तैवेत्यत्र एव शब्दोऽवधारणार्थकः, उत्तरत्र संख्यासमुवार्थकः ‘णउया' नवतानि-नवति कोट यधिकानि इत्यर्थः, अन्यया-कीटिशततो द्वितीय स्थाने विद्यमानेषु लक्षादि स्थानेषु नवदशकरूपा नवति नयुज्यते गणित संप्रदायविरोधात्, तथा-'छप्पण्ण सयसहस्साई' षट्पञ्चाशच्छतसहस्रणि-षट्पञ्चाशल्लक्षा-इत्यर्थः 'चउणव इंच कही जा चुकी है अतः अब उसे यहां नहीं दिखाया जाता है वहीं से इसे देख लेना चाहिये पूर्व से पश्चिम तक के खंडों की विचारणा यहां पर खंड गणित के अनुसार सूत्र में नहीं दिखाई गई है-परन्तु लक्ष संख्या की पूर्ति करनेवाले मुखादिकों द्वारा ही यह बात कह दी जाती है फिर भी खंड गणित के अनुसार विचार करने पर जितना भरतक्षेत्र के खंडों का प्रमाण है उतने ही खण्ड यहां पर होते हैं । खण्डद्वार समाप्त ॥ योजनद्वार वक्तव्यता'जंबुद्दीवेणं भंते ! दीवे' गौतमस्वामीने इस द्वार में प्रभु से ऐसा पूछा हैहे भदन्त ! जम्बूद्वीप नामका द्वीप योजन गणित से समचतुरस्र योजन प्रमाण खंडों को सर्व संख्या से कितना कहा गया है ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं'गोयमा! सतेव य कोडिसयाणउआ छप्पण सयसहस्साई चउणवइंच सहस्सा વિશે અહીં સ્પષ્ટતા કરવામાં આવશે નહિ. જિજ્ઞાસુઓ ત્યાંથી જ જાણવા પ્રયત્ન કરે. પૂર્વેથી પશ્ચિમ સુધીના ખંડેની વિચારણા અહી' ખંડગણિત મુજબ સૂત્રમાં સ્પષ્ટ કરવામાં આવી છે. પરંતુ લક્ષ સંખ્યાની પૂર્તિ કરનારા મુખાદિક વડે જ આ વાત કહેવામાં આવી છે. છતાં એ ખંડગણિત મુજબ વિચાર કરીએ તો જેટલું ભરતક્ષેત્રના ખંડાનું પ્રમાણ છે, તેટલા જ ખડે અહીં પણ હોય છે. ખણ્ડદ્વાર સમાપ્ત. જનાર વક્તવ્યતા 'जंबुद्दीवेणं भंते ! दीवे' गौतमस्वामी मा बामा प्रभुन । प्रमाणे प्रश्न ४ છે કે હે ભદંત! જંબુદ્વીપ નામક દ્વીપ જન ગણિતથી સમચતુરસ્ત જન પ્રમાણ भाना स सध्याथी । ४ामा माटो छ ? सेना ४११ममा प्रभु ४४ छ- 'गोयमा ! संतेव य कोडिसयाई णउआ छप्पण सय सहरसाइं चउणव च सहरसा सयं दिवद्धं च गणिअपयं જમ્બુદ્વીપપ્રજ્ઞપ્તિસૂત્ર

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