Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 797
________________ ७८४ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्रे श्वतुः संख्यका महामद्यः प्रज्ञप्ताः, 'तं जहा' तद्यथा-'हरी हरिकंता नरकंता णारीकंता' हरिसलिला महानदी प्रथमा, हरिकान्ता महानदी द्वितीया, नरकान्तानाम महानदी तृतीया, नारीकान्तानाम्नी चतुर्थी, 'तत्थ णं एगमेगा महाणई' तत्र-तासु नदीषु मध्ये खलु एकैका महानदी हरिसलिला प्रभृतिका, 'छप्पण्णाए छप्पण्णाए सलिलासहस्से हिं' षट्पञ्चाशता षट् पञ्चशता सहस्त्रैः 'समग्गा' समग्रा सहिता युक्ता 'पुरथिमपञ्चस्थिमेणं लवणसमुदं समप्पेइ' पूर्वपश्चिमेन लवणसमुद्रं समुपसर्पति-गच्छति 'एवामेव सपुव्वावरेणं' एवमेव यथा वर्णितप्रकारेण सपूर्वापरेण-पूर्वापरसङ्कलनेन 'जंबुद्दीवे दीवे' जम्बूद्वीपे द्वीपे 'हरिवासरम्मगवासेसु' हरिवर्षरम्यकवर्षयो मध्ये 'दो चउवीससयसलिलासयसहस्सा भवंतीति मक्खायं' द्वै चतुर्विंशति चतुर्विंशत्यधिके द्वे सलिलाशतसहस्रे भवत इत्याख्यातं मया अन्यैश्च तीर्थकरैरिति । 'जंबु. हीवेणं मंते !' जम्बूद्वीपे खलु भदन्त ! द्वीपे सर्व द्वीपमध्य जम्बूद्वीपे इत्यर्थः 'महाविदेहे वासे' महाविदेहनामके वर्षे 'कइ महाण ई ओ पन्नताओ' कति-कियत्संख्यका महानद्यः प्रज्ञप्ता:कथिता इति प्रश्नः, भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'दो महाणईओ महाणईओ पन्नत्ताओ' हे गौतम ! चार महानदियां कही गइ हैं 'तं जहा' उनके नाम इस प्रकार से हैं-'हरि, हरिकंता, नरकंता णारीकता' हरी, हरीकान्ता और नरकांता नारीकान्ता' 'तत्थणं एगमेगा महाणई छप्पण्णाए २ सलिलासहस्सेहिं समग्गा पुरथिमपच्चत्धिमेणं लवणसमुदं समप्पेइ' इनमे एक एक महानदी की परिवारभूता अवान्तर नदियां ५६-५६ हजार हैं और ये पूर्व और पश्चिम लव समुद्र में जाकर मिली हुई हैं । 'एवामेव सपुव्वावरेण जंबुद्दोवे दीवे हरिवास रम्मगवासेसु दो चउवीसा सलिलासयसहस्सा भवंतीति मक्खायं' इस तरह इन चारों महानदियां की परिवारभूत नदियां मिलाकर जंबूद्वीप में २ लाख २४ नदियां हैं। 'जंबुद्दीवेणं भंते ! दीवे महाविदेहे वासे कई महाणई ओ पन्नत्ताओ' हे भदन्त ! इस जम्बूद्वीप नामके द्वोपमें महाविदेह क्षेत्रमें कितनी महानदियां कही गई है ? इसके उत्तर में प्रभु कहते है-'गोयमा ! दो महाणई ओ पन्नत्ताओ' हे गौतम ! छ. 'तं जहा' तमना नाम! 4प्रभा छे-'हरि, हरिकंता, नरकंता, णारीकंता' ३२री, ३॥ tiता. २४ता मन नारीsial. 'तत्थणं एगमेगा महाणई छप्पण्णाए २ सलिलसहस्सेहि समगा पराथिमपच्चत्थिमेणं लवणसमुदं समप्पेइ' मा ४ भानहीनी परिवारभूता અવાક્તર નદીઓ ૫૬, ૫૬ હજાર છે અને એ પૂર્વ અને પશ્ચિમ લવસમુદ્રમાં જઈને भणी छे. 'एवामेव सपुव्वावरेण जंबुद्दीवे दीवे हरिवासरम्मगवासेसु दो चवीसा सलिलासयसहस्सा भवंतीति मक्खायं' मा प्रभारी से यार नही मानी परिवारभूता नही। भणीने दीपभा २ सास २४ २ नही छे. 'जंबुद्दीवेणं भंते ! दीवे महाविदेहे वासे कई सो पण्णताओ' 3 महत ! भूदी५ नाम दीपमा मावि मा की भनिहाया मावेसी छ ? सेना पाममा प्रनु ४३ छ-'गोयमा ! दा महाणईओ पन्नताओ' જમ્બુદ્વીપપ્રજ્ઞપ્તિસૂત્રા

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