Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रकाशिका टीका-पञ्चमवक्षस्कारः सू. १० अच्युतेन्द्रकृततीर्थकराभिषेकादिनिरूपणम् ७१३ ___ अथ चतुर्दशम् मत्स्याण्डकमकराण्डकजारमारप्रविभक्ति नाम नाटयम्-एतय पूर्व व्याख्यातमेव, अत्रैषां चतुर्णामभिनयनं प्रथगुक्तम् तत्र तु व्यामिश्रितमितिभेदः॥ १४ ॥ ___ अथ पञ्चदशम् क ख ग घ ङ इति कवर्गप्रविभक्तिकं नाटकम् तच ककाराकारेण अभि. नयदर्शनं ककारप्रविभक्तिः, अयमर्थः तथा नाम ते नटाः नृत्यन्ति यथा ककाराकारो. ऽभिव्यज्यते, एवं खकारगकारचकारडकारप्रविभक्त्यो वक्तव्याः एतच्च कवर्ग प्रवि. भक्तिकं नाटयम् एवं चकारप्रविभक्ति जातीयमित्यादि बोध्यम् ककारशब्दोघटनेन चचपुट चाचपुटादौ कं को किं की इत्यादि वाचिकाऽभिनयस्य प्रवृत्या नाटयम् एवं कादि डान्तानां शब्दाना मादातृत्वेन ककारखकारगकारघकारङकारप्रविभक्तिकं नाटयम्, एवं चवर्ग प्रविभक्त्यादिष्वपि एवमेव वक्तव्यम् ॥१४॥ अथ पोडषम्-च छ ज झ ञ प्रविभक्तिकम् ॥१६॥ अथ सप्तदशम्-ट ठ ड ढ ण प्रविभक्तिकम् ॥१७॥ अथाष्टादशम्-तथतधन प्रविभक्तिकम् ॥१८॥ अथैकोनविंशतितमम्-प फ ब भ म प्रविभक्तिकम् ॥१९॥ अथ विंशतितमम्-अशोकाम्रजम्बूकोशम्बपल्लवप्रविभक्तिकम् । तत्र अशोकादयो वृक्षविशेषासौधों का एवं प्रासाद आदि के चतुष्पद आदिकों का जिसमें प्रदर्शन किया जाता है वह चम्पा प्रविभक्ति है १४ वां नाटय मत्स्याण्डक, मकराण्डक, जारमार प्रविभक्ति नामका है १५ वां नाटय क ख ग घ ङ इस कवर्ग प्रविभक्ति नामका है इसमें ककार के आकार का जो अभिनय प्रदर्शन किया जाता है वह ककार प्रविभक्तिवाला नाटय है तात्पर्य यह है कि नट इस नाटय में इस ढंग से नाचते हैं कि जिसमें ककार के आकार को अभिव्यक्त करते हैं इसी प्रकार के खकार गकार धकार और उकार प्रविभक्तियों के सम्बन्ध में भी जानना चाहिये १६ वां नाटय च छ ज झ ञ इस चवर्ग प्रविभक्ति नामका है १७ वां नाटय ट ठ ड ढ ण इस टवर्ग प्रविभक्ति नामका १८ वां त थ द ध न, इस तवर्गविभक्ति नामका है १९ वां प फ ब भ और म इस पवर्ग प्रविभक्ति नामका है २० वां अशोक आम्र जम्बु पल्लव प्रविभक्ति नामका नाटय है इसमें વગેરેના ચતુપદ વગેરેનું જેમાં પ્રદર્શન કરવામાં આવે છે, તે ચમ્પ પ્રવિભક્તિ છે. १४ नाट्य मत्स्याउ, भ४२२३४, १२ भा२ प्रविमति नाम छ. १५भु नाट्य 'क, ख, ग घ, ङ' २ का प्रविमति नाम छ. सभा ॥२॥ मारना मलिनय प्रशित કરવામાં આવે છે. તે કકાર પ્રવિભક્તિવાળું નાટ્રય છે તાત્પર્ય આ પ્રમાણે છે કે નટ આ शते नाये छे भी तमा ४२ मारने अभिव्यत ४२ छे. या प्रमाणे 'खकार' 'गकार, धकार' भने उकार प्रविमति। विशे पर ती से नये. १६भु नाट्य च, छ, ज, झ, ञ २॥ च वर्ग प्रवित नाम छ. १७भु नाटय ट, ठ, ड, ढ, ण भाट प्रविमति नाम छे. १८ मुंप, फ, ब भ, म म प का प्रविमति नाम: છે. ૨૦ નાટય અશેક, આમ્ર, જમ્મુ, પલ્લવ પ્રવિભક્તિ નામક નાટ્ય છે. એમાં જે પ્રમાણે
ज० ९०
જમ્બુદ્વીપપ્રજ્ઞપ્તિસૂત્ર