Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 746
________________ प्रकाशिका टीका - पञ्चमवक्षस्कारः सू. ११ अभिषेक निगमनपूर्वकमाशीर्वादः ७३३ . तत्रैक ईशानः भगवन्तं तीर्थंकरं करतलसंपुटेन करतलयोः, उर्ध्वाधो व्यवस्थितयोः संपुटं शुक्तिका संपुटमिवेत्यर्थः तेन गृह्णाति 'गिहिता' गृहीत्वा 'सीहासणवरगए पुरस्थाभिमु सणसणे' सिंहासनवर गतः पौरस्त्याभिमुखः पूर्वाभिमुखः सनिषण्णः, उपविष्टवान् 'एगे ईसा पge आयवत्तं घरेइ' एक ईशानः पृष्ठतः, आतपत्रं - छत्रं घरति 'दुवे ईसाणा उभओ पर्सि चामरुक्खेवं करेंति' द्वावीशानौ उभयोः पार्श्वयोः, चामरोत्क्षेपं कुरुतः 'एगे ईसाणे पुरओ सूलपाणी चिट्ठ' एक ईशान पुरतः शूलपाणिः शूल: पाणौ हस्ते यस्य स तथा भूतः सन् तिष्ठति 'तएण से सके देविंदे देवराया आभियोगे देवे सहावे३' ततः, ईशानेन्द्रेण भगवतः, तिर्थंकरस्य करसंपुटे ग्रहणानन्तरं खलु स शक्रो देवेन्द्रो देवराजः, आभियोग्यान, आज्ञाकारिणो देवान् शब्दयति आह्वयति 'सद्दावित्ता' शब्दयित्वा, आहूय 'एसो वि तहचेव आण ि देइ ते वि तहचेव उवर्णेति' एषोऽपि शक्रः, तथैव अच्युतेन्द्रवदभिषेक विषयकामाज्ञप्तिकां ददाति तेsपि - आभियोगिकाः, देवाः, तथैव अच्युतेन्द्रा भियोग्यदेवाइव, अभिषेकवस्तूनि, एक ईशानेन्द्र ने भगवान् तीर्थकर को अपने करतल संपुट द्वारा पकडा गिव्हित्ता सीहासणवरगए पुरत्याभिमुहे सण्णिसण्णे' और पकडकर पूर्वदिशा की ओर मुंह करके सिंहासन पर बैठ गया 'एगे ईसाणे पिटुओ आयवतं धरेइ, दुवे ईसाणा उभओ पासिं चामरुक्खेवं करेंति' दूसरे ईशानेन्द्र ने पीछे से खडे होकर प्रभुके ऊपर छत्रताना दो इशानेन्द्रों ने दोनों ओर खड़े होकर प्रभुके ऊपर चामर ढोरे 'एगे ईसा पुरओ सूलपाणी चिट्ठइ' एक ईशानेन्द्र हाथमें शूल लेकर प्रभुके साम्हने खडा हो गया 'तएण से सक्के देविंदे देवराया आभियोगे देवे सहावेइ' इसके बाद देवेन्द्र देवराज शक्र ने अपने आभियोगिक देवों को बुलाया - 'सद्दा. विता एसो वि तहचेव अभिसेआणतिं देइ ते वि तं चैव उवणेंति' और बुलाकर इसने भी अच्युतेन्द्र की तरह उन्हें अभिषेक योग्य सामग्री लानेकी आज्ञा दी थ गये। 'विउब्विता एगे ईसाणे भगव तित्थयरं करयल संपुडेणं गिण्हइ' भांथी मेड थानेन्द्रे लगवान तीर्थ ५२ पोताना ५२त संपुटमां उठाव्या गिहिता सीहासणवरगए पुरत्थाभिमूहे सणसणे' अने पडीने पूर्वदिशा तरई भुख राजीने सिहासन पर मेसार्या 'एगे ईसाणे पिट्ठओ आयवतं धरेइ, दुवे ईसाणा उभओ पासिं चामरुक्खेवं करे ति' मील खेड ઈશાનેન્દ્ર પાછળ ઊભા રહીને પ્રભુ ઉપર છત્ર તાણ્યુ'. એ ઇશાનેન્દ્રોએ બન્ને તરફ ઊભા રહીને પ્રભુ (५२ यमर ढोणवानीशरुआत ४री. 'एंगे ईसाणे पुरओ सूलपाणी चिट्ठइ' मे ईशानेन्द्र हाथमां शुभ सर्ध ने असुनी सामे अलो रह्यो 'तएण से सक्के देविंदे देवराया आभियोगे देवे सहावेइ' त्यार हे हेवेन्द्र देवरान शडे पोताना मालियोगिऊ हेवाने मोलाव्या- 'वदावित्ता एसो वि तह चैव अभिसे आणति देइ ते वि तं चेव उवणें ति' मने मोलवीने तेथे या अभ्युतेन्द्रनी જેમ તે બધાને અભિષેક ચૈાગ્ય સામગ્રી એકત્ર કરવાની આજ્ઞા કરી. અચ્યુતેન્દ્રના આભિ જમ્બુદ્વીપપ્રજ્ઞપ્તિસૂત્ર

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