Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 734
________________ प्रकाशिका टीका-पञ्चमवक्षस्कारः सू. ११ अभिषेकनिगमनपूर्वकमाशीर्वादः ७२१ अय अभिषेक निगमन पूर्वकमाशीर्वाद सूत्रमाहमूलम् -तए णं से अच्चुइंदे सपरिवारे सामि तेणं महया महया अभिसेएणं अभिसिंचई, अभिसिंचित्ता करयलपरिग्गहियं जाव मत्थए अंजलिं कटु जएणं विजएणं वद्धावेइ वद्धावित्ता ताहिं इटाहिं जाव जयजयसई पउंजइ पउंजित्ता जाव पम्हलसुकुमालाए सुरभीए गंधकासाइए गायाई लूहेइ लुहिता एवं जाव कप्परुक्खगं पिव अलंकियविभूसियं करेइ करिता जाव णविहिं उवदंसेइ उवदंसिता अच्छेहि सण्हेहिं रययामएहिं अच्छरसा तंडुलेहिं भगवओ सामिस्स पुरओ अट्रमंगलगे आलिहइ तं जहा-सोस्थिय १ सिरिवच्छ २ नंदियावत ३ वद्धमाण ४ भदासण ५ वरकलस ६ मच्छ ७ दप्पण ८ लिहिआ अट्र मंगलगा ॥१॥ लिहिऊण करेइ उपचारं किंते ? पाडल मल्लिअ चंपगसोग पुन्नाग चूअमंजरि णवमालिअबउलतिलय कणवीरकुंदकुज्जग कोरंटपत्त दमणग वरसुरभिगंधगंधियस्स कचग्गहगहिय करयलपब्भविष्पमुकस्स तत्थचितं जाणुस्सेहपमाणमितं ओहिनिकरं करेता चंदप्पभरयणवइरवेरुलियविमलदंडं कंचणमणिरयणभतिचितं कालागुरुपवरकुंदरुक्कतुरुकधूवगंधुत्तमाणुविद्धं च धूमवहि विणिम्मुयंतं वेलियमयं कडुच्छुअं पग्गहितु पयएणं धूवं दाउण जिणवरिंदस्स सत्तटुपयाइं ओसरिता दसं गुलियं अंजलिं करिअ मत्थयंमि पयओ अट्ठसय विसुद्धगंधजुत्तेहिं महावितेहिं अपुणरुत्तेहि अत्थजु तेहिं संथुणइ संथुणि ता धामं जाणुं अंचेइ अंचिता जाव करयलपरिग्गहियं मत्थए अंजलि कटु एवं वयासी णमोत्थुते सिद्धबुद्ध गीरय समणसामाहि समत्त समजोगि सल्लगत्तण णिब्भय णीरागदोसणिम्ममणिरसंगणीसल्लमाणमूरणगुणरयणसीलसा. गरमणंत मप्पमेयभविअ धम्मवरचाउरंतचकवट्टी णमोत्थुते अरहओ तिकट्ट एवं वंदइ णमंसइ वंदिता णमंसित्ता पच्चासण्णे गाइदूरे सुस्सूसमाणे जाव पज्जुवासइ एवं जहा अच्चुयस्स तहा जाव ईसाण. ज० ५५ જમ્બુદ્વીપપ્રજ્ઞપ્તિસૂત્રા

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