Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्रे
मेकशैलनामकं वक्षस्कारशैलं वर्णविदुमुपक्रमते - 'कहि णं एगसेले' इत्यादि - उत्तानार्थम्, अयं पुष्कलावर्त्तः सप्तमो विजयश्चक्रवर्ति विजेतव्यत्वेन चक्रवर्तिविजय इत्युच्यते, एवं पुष्कलावती चक्रवर्तिविजयोऽपि मध्यमपदलोपि तत्पुरुषसमास युक्तो बोध्यः, अथाष्टमं चक्रवर्तिविजय भदन्त ! महाविदेह क्षेत्र में पुष्कलावर्त नाम का विजय कहां पर कहा गया है ? (गोमा ! णीलवंतस्स दाहिणेणं सीयाए उत्तरेण पंकावईए पुरत्थिमेणं एक्क सेलस्स वक्रवारपव्वयस्स पच्चत्थिमेणं एत्थ णं पुक्खलावंतो णामं विजए पण्णत्ते) हे गौतम! नीलवंत वर्षधर पर्वत की दक्षिण दिशा में सीता महानदी की उत्तर दिशा में एवं पङ्कावती महानदी की पूर्व दिशा में तथा एकशैल नाम के वक्ष स्कार पर्वत की पश्चिम दिशा में महाविदेह क्षेत्र के भीतर पुष्कलावर्त पर्वत नाम का विजय कहा गया है।
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( जहा कच्छविजए तहा भाणियच्वं) जैसा वर्णन कच्छविजय का है उसी प्रकार का वर्णन इसका भी है (जाब पुक्खले अ इत्थ देवे महिडिए पलिओवमfare परिसर) यावत् यहां पर पुष्कल नाम का एक देव जो कि महर्द्धिक अरौ एक पल्योपम की स्थिति वाला है रहता है इसी कारण मैने हे गौतम ! इसका नाम पुष्कलविजय कहा है । ( कहि णं भंते! महाविदेहे बासे एगसेले नामं वक्खारपव्व पण्णत्ते) हे भदन्त ! महाविदेह क्षेत्र में एकशैल नाम का वक्षस्कार पर्वत कहां पर कहा गया है ? उत्तर में प्रभु कहते हैं (गोयमा ! पुकलावचक्कवहिविजयस्स पुरस्थिमेणं पोक्खलावती चक्कवहिविजयस्स पच्च
नही वु छे, 'कहिणं भंते महाविदेहे वासे पुक्खलावते णामं विजय पण्णते' हे लह ंत! महाविदेह क्षेत्रमां पुण्डलावर्त नाम विनय या स्थणे आवे छे ? 'गोगमा ! पीलवंतस्स दाहिणेणं सीआए उत्तरेणं पंकावईए पुरत्थिमेणं एक्सेलस्स वक्खारपव्वयस्स पच्चत्थिमेणं एत्थणं पुक्खलावते णामं विजय पण्ण ते' हे गौतम! नीदावन्त वर्षधर पर्वतनी દક્ષિણ દિશામાં સીતા મહાનદીની ઉત્તર દિશામાં તેમજ પકાવતી મહાનદીની પૂ દિશામાં તથા એકશલ નામક વક્ષસ્કાર પર્વતની પશ્ચિમ દિશામાં મહાવિદેડ ક્ષેત્રની अंडर पुण्डद्यावर्त नामे विनय मावेस छे. 'जहा कच्छविजए तहा भणियव्वं' वु वान छ विभ्यनु छे तेवु वर्णन मेनु पशु छे.- 'जाव पुक्खलेअ इत्थदेवे महिडूढिए पलिओ मट्ठिए परिवसई' यावत् यहीं पुष्डस नाभे महद्धि४ मनेो हयोपभ જેટલી સ્થિતિવાળા દેવ રહે છે. એથી જ મે' હે ગૌતમ! એનુ નામ પુષ્કલ વિજય मेवु राज्य छे. 'कहिणं भंते महाविदेहे वासे एगसेले नामं वक्खारपव्वए पण्णत्ते' हे ભદ્રંત ! મહાવિદેહ ક્ષેત્રમાં એકશૈલ નામક વક્ષસ્કાર પર્વત કયા સ્થળે આવેલ છે? वामां अलु उहे छे- 'गोयमा ! पुक्कला वट्टचक्कवट्टिविजयस्स पुरत्प्रिमेणं पाक्खलावती चक्कवट्टिविजयस्स पच्चत्थिमेणं णीलवंतस्स दक्खिणेणं सीआए उत्तरेणं एत्थणं एगसेले णामं वक्खारपव्व पण्णत्ते' हे गौतम ! पुण्डसावत अडवती विनयनी पूर्व दिशामा पुष्ठ
જમ્બુદ્વીપપ્રજ્ઞપ્તિસૂત્ર