Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 636
________________ प्रकाशिका टीका-पञ्चमवक्षस्कारः सू. ४ इन्द्रकृत्यावसरनिरूपणम् ६२३ जाव रवेणं' महत्या ऋया यावत् रवेण अत्र यावत् पदेन 'महया हयणट्टगीयवाइय तंतीतल. तालतुडि अघणमुइंगपडुपडहवाइय' इत्येषां पदानां ग्रहणं भवति व्याख्यानं तु अस्मिन्नेव सूत्रे पूर्व द्रष्टव्यम् ‘णिअय परिआलसंपरिवुडा' निजकपरिवारसम्परिवृताः 'सयाइं जाणविमाणवाहणाइंदुरूढा समाणा' स्वकानि स्वकानि वाहनानि य शिबिकादीनि आरूढाः सन्तः 'अकालपरिहीणं चेव' अकालपरिहीणम्-निर्विलम्वं यथास्यात्तथा चैव 'सकस्स जाव अंतियं पाउभवह शक्रस्य यावदन्तिकं समीपं प्रादुर्भवत अत्र यावत्पदात् देवेन्द्रस्य देवराजस्य इति ग्राहाम् 'तए णं से हरिणेगमेसी देवे पायताणीयाहिबई सक्केणं ३ जाव एवं वुत्ते समाणे हट्ट तु? जाव एवं देवोत्ति आणाए विणएणं वयणं पडिसुणेइ २' ततः शक्रादेशानन्तरं खलु स हरिधित पुष्पों की माला पहिनता हो, जो जिस प्रकार के अलंकार पहिनता हो वह उस प्रकार की माला से एवं अलंकार से सजधज कर आवें हाथों में कडे भुजाओं में त्रुटित-भुजबंध आदिकों से रहित न आवे आते समय वह दिव्य बाजों की तुमुल ध्वनि के साथ आवे यहां यावत् शब्द से 'महयाहयणगीयवाइयतंतीतलतालतुडियघणमुइंगपडपडह वाइअ' इस पाठका संग्रह हुआ है इन पदों की पहिले कई बार व्याख्या की जा चुकी है सो वहीं से इसे देखलेना चाहिये 'णिययपरियाल संपरिबुडा सयाई २ जाणविमाणवाहणाई दुरुढा समाणा अकालपरिहीणं चेव सक्कस्स जाव अंतियं पाउब्भवह' आते समय में अपनी अपनी इष्ट मंडली सहित एवं परिवार सहित आवें और आने में विलम्ब न करें अविलम्ब आवें आने के लिये सब अपने यान विमानों का उपयोग करेअर्थात् यान विमान पर चढ चढ कर आवें और आ करके शक के पास उपस्थित हो जावें 'तरणं से हरिणेगमेसी देवे पायत्ताणीयाहिवई सक्केणं ३ जाव एवं वुत्ते समाणे हतुट्ट जाव एवं देवोत्ति आणाए विणएणं बघणं पडिसुणेइ, पडिમાળા પહેરે છે, જે દેવ જે પ્રકારનાં અલંકારો પહેરે છે, તે દેવ તે પ્રકારની માળાઓ તેમજ અલંકારોથી સુશોભિત થઈને આવે હાથમાં કટક, ભુજાઓમાં ત્રુટિત-ભુજ બધે પહેરીને આવે. આવતા સમયે તેઓ દિવ્ય વાદ્યોના તુમુલ ધ્વનિ સાથે આવે. मी यावत् १५४थी 'महयाहयणट्टगीयवाइयततीतलतालतुडियघणमुइंगपडुपडहवाइअ' मा પાઠને સંગ્રહ થયે છે. એ પદોની વ્યાખ્યા પહેલાં ઘણીવાર કરવામાં આવી છે. તે Forसुयी त्यांची या प्रयत्न ४२. 'णियय-परियालसंपरिबुडा सयाई २ जाणविमाण वाहणाई दुरूढा समाणा अकालपरिहीणं चेव सक्कस्स जाव अंतियं पाउन्भवह' ते। પિત–પિતાની ઈષ્ટ મંડળી સહિત તેમજ પિતાના પરિવાર સહિત અહીં આવે અને ત્વરિત ગતિથી આવે આવતી વખતે તેઓ બધાં પિતપોતાના યાન-વિમાનને ઉપયોગ કરે. એટલે કે યાન-વિમાન ઉપર આરૂઢ થઈને આવે અને આવીને શકની પાસે ઉપસ્થિત થઈ જાય. 'तए णं से हरिणेगमेसी देवे पायताणीयाहिवई सक्केणं ३ जाव एवं बुत्ते समाणे हट्ट तुह જમ્બુદ્વીપપ્રજ્ઞપ્તિસૂત્રા

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