Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 692
________________ प्रकाशिका टीका - पञ्चमवक्षस्कारः सू. ८ चमरेन्द्रभवनवासिनां निरूपणम् ६० सहस्राणि मध्यमायां ७० सहस्राणि बाह्यायां ८० सहस्राणि भूतानन्दस्याभ्यन्तरिकायां पर्षद ५० सहस्राणि मध्यमायां ६० सहस्राणि बाह्यायां ७० सहस्राणि अवशिष्टनां भवन वासि षोडशेन्द्राणां मध्ये ये वेणुदेवादयो दक्षिणश्रेणिपतयस्तेषां पर्षत्रयं धरणेन्द्रस्येव उत्तर श्रेयधिपानां वेणुदारिप्रमुखार्णा भूतानन्दस्यैव ज्ञातव्यम्, अथ धरणः 'तेणं कालेणं तेणं समए णं धरणे तहेव' तस्मिन् काले तस्मिन् समये धरणस्तथैव चमरवत्, अयं विशेषः 'णाणत्तं' नानात्वं भेद: 'छ सामाणि साहसीओ' षट् सामानिकसहस्राणि 'छ अग्गमहिसीओ चउगुणा आयरक्खा' षडग्रमहिष्यः चतुर्गुणा आत्मरक्षशः, षट् संख्यातश्चतुर्गुणा २४ आत्मरक्षका इत्यर्थः 'मेघस्सरा घंटा' मेघस्वरा घण्टा 'भद्दसेणो पायताणीयाहिवई' भद्रसेनः नामकः पदात्यनीकाधिपतिः 'विमाणं पणवीसं जोयणसहस्साई' विमानं पञ्चविंशति योजन सहस्राणि पञ्चविंशतिसहस्रयोजनपरिमितं विस्तारायाममित्यर्थः 'महिंदम्झओ अद्धा६० हजार, मध्यपरिषदा में ७० हजार और बाह्यपरिषदा में ८० हजार देव हैं। भूतानन्दकी आभ्यन्तरपरिषदा में ५० हजार मध्यपरिषदा में ६० हजार और बाह्यपरिषद में ७० हजार देव है । अवशिष्ट भवनवासियों के १६ इन्द्रों में से जो वेणुदेवादिक दक्षिण श्रेणिपति हैं उनकी परिषत्रय धरणेन्द्र की परिषत्रय के जैसी है तथा उत्तरश्रेणि के अधिपति वेणुदालि आदिकों की परिषत्रय भूतानन्द की तीन परिषदाओं के जैसी है ऐसा जानना चाहिये 'तेणं कालेणं तेणं समएणं धरणे तहेव' उस कालमें और उस समय में धरण भी चमर की तरह ही बढे - भारी ठाटबाट से मन्दर पर्वत पर आया परन्तु वह 'छ सामाणिय साहसीओ, ६ अग्गमहिसीओ, चउग्गुणा आयरक्खा, मेघस्सरा घण्टा, भदसेणो पायताणीयाहिवई विमाणं पणवीसं जोयणसहस्साई महिंदज्झओ अद्वाइज्जाई जोयणसयाई' ६ हजार सामानिक देवों से ६ अग्रमहिषियों से एवं सामानिक देवों की अपेक्षा चौगुने आत्मरक्षकों से युक्त होकर आया इसकी મધ્ય પરિષદામાં ૭૦ હજાર, અને બાહ્ય પરિષદામાં ૮૦ હજાર દેવા છે. ભૂતાનન્દની આભ્યન્તર પરિષદામાં ૫૦ હજાર મધ્ય પરિષદામાં ૬૦ હજાર અને બાહ્ય પરિષદામાં ૭૦ હજાર દેવા છે. શેષ ભવનવાસિએના ૧૬ ઈન્દ્રોમાંથી જે વેણુદેવાદિક દક્ષિણ શ્રેણિપતિએ છે. તેમની પરિષદ્ ત્રય ધરણેન્દ્રની પરિષદ્ ત્રય જેવી તથા ઉત્તર શ્રેણીના અધિપતિ વેણુદાલિ આદિકાની પરિષદ્ય ભૂતાનન્દની ત્રણ પરિષદા જેવી છે. એવુ लावु' लेखे. 'तेणं कालेणं तेणं समरणं धरणे तद्देव' ते आणे अने ते सभये धरण पशु यू डाई-भाई साथै यभरनी प्रेम मंदर पर्यंत आशु ते 'छ सामाणिय साहसीओ ६ अग्गमहिसीओ, चउग्गुणा आयरक्खा, मेघस्सरा घंटा, भदसेणो पायत्ताणी - ६७९ हवा पणवीसं जोयणसहस्साई महिंदज्झओ अद्वाइज्जाई जोयणसयाई' ६ इनर સામાનિક દેવાથી ૬ અગ્રમહિષીએથી તેમજ સામાનિક દેવાની અપેક્ષાએ ચાર ગુણા જમ્બુદ્વીપપ્રજ્ઞપ્તિસૂત્ર

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