Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्रे
महाबलः, महायशाः, महासौख्या, महानुभावः, पल्योपमस्थितिकः” इत्येषां ग्रहणम्, व्याख्याचाष्टमसूत्राद्बोध्या । 'से णं तत्थ' स खलु अनादृताभिधो देवः, तत्र-जम्बू सुदर्शनायाम् विहरति, किं कुर्वन् ? इत्य पेक्षायामाह-'चउण्हं' चतसृणाम् इत्यादि-'च उण्हं' सामाणिय साहस्सीणं चतसृणां सामानिक-साहस्रीणां-चतुः सहस्र संख्यक सामानिक देवानाम् 'जाव' यावत्-यावत्पदेन 'चतसृणामग्रम हिपीणाम्, सपरिवाराणां तिमृणां परिषदां सप्तानामनीका. नाम् सप्तानामनोकाधिपतीनाम्, षोडशानाम्' इत्येषां पदानां सङ्ग्रहो बोध्यः,एषां व्याख्याऽष्टमसूत्राद्बोध्या। 'आयरक्खदेवसाहस्सीणं' आत्मरक्षदेवसाहस्रीणाम्-पोडशसंख्यानामात्मरक्षकसहस्राणाम् तथा 'जंबूद्दीवस्स णं दीवस्स' जम्बूद्वीपस्य खलु द्वीपस्य तथा-'जंबूर सुदंसणाए' जम्ब्वाः सुदर्शनायाः तथा 'अणाढियाए' अनादृताया:--अनादृताभिधानायाः 'रायहाणीए अण्णेसिं च' राजधान्याः अन्येषाम्-चतुसहस्रसामानिकदेवाद्यतिरिक्तानां च 'बहूणं देवाण य देवीण य' बहूनां देवानां च देवीनां च 'जाव' यावत्-यावत्पदेन-आधिपत्यं दिसमृद्धि से युक्त होने से महद्धिक है-महद्धिक पद् उपलक्षण हैं अतः महाद्युति वाला महाबल शाली, महान् यशवाला, महा सुखवाला, महानु भाव एक पल्योपम की स्थितिवाला है इन पदों का अर्थ आठवें सूत्र में कहे अनुसार समझ. लेवें से तत्थ' वह अनादृतदेव जंबू सुदर्शना में निवास करते हैं-वहां निवास करता हुआ वह क्या करते हैं इस जिज्ञासा शमनार्थ कहते हैं-'चउण्हं सामाणिय साहस्सीणं' चार हजार सामानिक देवों का 'जाव' यावत्पद से परिवार सहित चार हजार अग्रमहिषीयों का तीन परिषदाओं का सात सेनाओं का, सात सेनाधिपतियोंका यहां षोडश पद का संग्रह समझलेवें अतः 'आयरक्खदेवसाहस्सीणं' सोलह हजार आत्मरक्षक देवों का तथा 'जंबूद्दीवस्स णं दीवस्स' जंबूद्वीप नामक द्वीपका तथा जंबूए सुदसणाए' जबू सुदशेनाका तथा 'अणाढियाए' आनाता नामकी 'रायहाणीए' राजधानी का इससे भिन्न 'बह गं देवाण य देवीण य' अनेक देव देवियों का 'जाव' यावतू अधिपतित्व, पुरમહાબલશાલી, મહાન યશવાળા, મહાસુખવાળા, મહાનુભાવ, એક પાપમની સ્થિતિવાળા छ. 24 तमाम पहोनी मथ 28 सूत्रमा ह्या प्रमाणे सम सेवा. से गं तत्थ' मा અનાહત દેવ જંબુસુદર્શનમાં નિવાસ કરે છે. ત્યાં નિવાસ કરતાં કરતા તે શું કરે છે ? ज्ञासाना शमन भाटे सूत्रधार 3 छ-'चउण्हं सामाणियसाहस्सीणं यार २ सामा
नु 'जाव' यावत् ५४थी स५/२वार या२ २ २५अभडिषयानु, ४ परिषह:એનું, સાત સેનાઓનું સાત સેનાધિપતિનું, અહિંયાં છેડશ પદને સંગ્રહ સમજી सेवा. तेथी 'आयरक्खदेवसाहस्सीणं' से M२ २॥म२६४ हेवानु, तथा 'जंबूदीवस्स गं दीवस्स' द्वा५ नामाना हानु', तथा 'जंबूए सुदंसणाए' भू सुदृशनानु, तथा 'अणाढियाए' मनात नभनी 'रायहाणीए' २०४धानीनु त (शवाय 'बहूणं देवाण य देवीण य'
જમ્બુદ્વીપપ્રજ્ઞપ્તિસૂત્રા