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आत्म कथा पहिले जन्म में.. मास्टर भोजराज था । मास्टर भोजराज मेरे मामा थे जो कि मेरे पैदा होने के कुछ समय पहिले मर चुके थे। वे सरकारी स्कूल में मास्टर थे, अकाल में सरकार की तरफ से पीड़ितों को अन्न बाटने का प्रवन्ध भी उनके जिम्मे डाला गया था इसलिये वे आसपास में छोटे से नेता बन गये थे। परन्तु अन्य भाइयों और कुटुम्बियों के कारण उन्हें ऋण लेना पड़ा और ऋण चुकाने के पहिले ही वे मर गये । वही ऋण की पोटली मेरे ललाटपर जमकर बैठी थी।
मेरे पिताजी आदि का दृढ़ विश्वास था कि मैं पूर्वजन्म का अपना मामा ही हूं। इस का कारण वे यह बतलाते थे कि मेरे गर्भ में आने के पहिले मेरे मामा भोजराजने उन्हें और मेरी माँ को यह स्वप्न दिया था कि अब मैं तुम्हारे घर में आता हूं । इस स्वप्न के बाद ही मैं गर्भ में आया । .
दुसरा कारण यह था कि मैं अपनी एक मामी ( भोजराजजी की विधवा पत्नी) की गोद में जाते ही शरमिन्दा होकर आँखें बन्द कर लेता था । मुझे तो कुछ मालूम नहीं पर पिताजी वगैरह इस का यह अर्थ लगाते थे कि मेरी वह मामी पहिले जन्म की पत्नी है। मुझे पहिले जन्म की याद आजाने से मैं उसे पत्नी समझकर गोद में नहीं जाता। ...
मुझे क्या याद आता था इस की 'मुझे अभी तक याद नहीं है। पर हाँ पिताजी की बातें सुनकर मैं बहुत दिन तक अनुभव करता रहा कि मैं पहिले जन्म का भोजराज हूं 1. एक बार मेरे