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विवाह के दुष्परिणाम
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उस समय तो कुछ नहीं, पर जब मैं बनारस से लौटा तब मालूम हुआ कि चिठ्ठी की चर्चा शहर भर में हैं, मेरी ससुराल में और उसके आसपास के गाँवों में भी है' । सो जहाँ जहाँ मैं गया वहाँ वहाँ बहुत से लोगों ने उलहना दिया कि ऐसी चिट्ठी क्यों लिखी ? पर ये उलहन पुराने वाग्वाणों के बराबर तीक्ष्ण न थे मुझे इतने में ही सन्तोष था |
बाल-विवाह से तीसरी जो हानि हुई वह है शरीर - हांनि । विवाह के पहिले कामवासना किसे कहते हैं यह मैं जानता ही न था । विवाह के बाद मेरे कुछ मित्रों को आवश्यक मालूम हुआ कि मैं कामवासना को तत्त्व समझं । एक विवाहित मित्र ने इस विषय में इतने बीभत्स और स्पष्ट व्याख्यान दिये कि चौक होने के पहिले ही सहगमन के स्वप्न आने लगे । शरीर पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ा । विवाहं न होता तो कई वर्ष तक मैं उस विषय से अनभिज्ञ हीं रहता और यह बात शरीर और मन दोनों के लिये फायदे की होती ।
बालविवाह से चौथी हानि हुई पढ़ाई में विघ्न । पिछला एक वर्ष तो बहुत बेचैनी में गया। काम की दसवीं दशां तक तो नहीं पहुँचा फिर भी बहुत सी दशाएँ पार कर गया था । स्वयं अध्ययनं करना तो दूर अध्यापक से ठीक तौर से सुनता भी न था । परीक्षां में पास हो गया इसका श्रेय बुद्धि को तो क्या दूं ? वह है हीं कितनी-सी, भाग्य को ही देना ठीक है ।
वालविवाह से मुझे ये चार हानियाँ हुईं पर हरएक को थे चार ही होती है यह बात नहीं है । इससे अधिक भी हो सकती हैं । इसे सौभाग्य ही कहना चाहिये कि ये हांनियाँ काफी दुःख