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इन्दोर में
[ १५९. विद्वान भी अनुकरणप्रिय होते हैं । ऐसे लोग सुधारकता का मूल्य तो कम करते ही हैं पर उसके मार्ग में रोड़े भी अटकाते हैं । बकना और अवसर आने पर पीछे हटना यह ऐसी कायरता है जो सुधार पथ में इतने बड़े रोड़े अटकाती है जितने सुधार का विरोधी भी नहीं अटका सकता।
खैर, इन्दोर में विपरीत परिस्थिति होने पर भी मेरी सुधारकता का सिञ्चन हुआ और धीरे धीरे वह कार्य परिणत भी होने लगी।
___ (१९) डायरी के कुछ पृष्ठ डायरी में बहुत कम भरता था । कविताओं और लेखों के नोटों में ही डायरी भरी जाती थी, फिर भी कभी कभी दिल के उद्गार डायरी में लिखे गये हैं । उससे क्रम-विकास का तथा आंतरिक जीवन का कुछ विशेष परिचय मिल सकता है, इसलिये तारीखवार कुछ उपयोगी पृष्ठ यहां दिये जाते हैं । किन किन पुस्तकों या. लेखा के पढ़ने से दिल पर क्या क्या प्रभाव पड़ता था ऐसी बातें भी प्रारम्भ की डायरियों में लिखी हुई हैं | उन पृष्ठे के पढ़ने से मालूम होता है कि साहित्य के वाचन ने. ही मुझे पशुता से मनुष्यता की ओर खींचा है और विकास का अधिकांश श्रेय उस ही है। सब पृष्ठों के उद्धृत करने में एक पाथा ही बनेगा, इसलिये इधर उधर के थोड़े पृष्ठ उद्धृत किये जाते हैं । विद्यार्थी अवस्था के पृष्ठ छोड़ दिये जाते हैं। डायरी के अधिकांश उद्गार किसी घटना से सम्बन्ध रखते रहे हैं पर खेद है कि वे