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. आत्मकथा को गिरा सकता है। मनुष्य को चाहिये कि वह अपने को सदा बलवान समझने की कोशिश करे । ऐसा समझने से वह वहुत काम कर सकता है।
बनारस ५ जनवरी १९२० ... . मनुष्य की इच्छाशक्ति बड़ी प्रबल है । वह तीन तरह
की होती है। सात्त्विक -जिसका दृष्टान्त महावीर वुद्ध हैं । राजस जिसका दृष्टान्त प्रताप । तामस जिसका दृष्टान्त चाणक्य हैं । इसमें पहिली उपादेय है दूसरी भी उपादेय पर पीछे सात्विकता होना चाहिये । तीसरी विलकुल हेय है । किन्तु मनुष्य को इच्छा शक्ति वाला अवश्य बनना चाहिये ।
. वनारस ११ जनवरी १९२० . .. मनुष्य वड़ी जगह रहके वड़ा कहलाता है परन्तु मेरा विचार है कि मैं जहां रहूं वह स्थान ही बड़ा कहला जावे । देखें यह इच्छा कबतक और कैसे पूर्ण होती है ? जो भी कुछ हो इस के लिये प्रयत्न तो अवश्य करता जाऊंगा। . ... वनारस १३ जनवरी १९२०
हमारी जाति समुन्नत हो तो कैसे हो? देखता हूं अभी सव आदमी लकीर के फकीर हैं-पुरानी. चाल जो थी वह रहना चाहिये चाहे वह दुःखद और धर्मविरुद्ध ही क्यों न हो और • नई रीति न रहनी चाहिये चाहे वह अच्छी ही क्यों न हो। :: .. .. बनारस १६ जनवरी १९२० . - मैं समझता था समय न मिलने से काम नहीं कर पाता