________________
१६२ ]
आत्म-कथा प्राणी किसी की आत्मा को पूर्ण सुखी नहीं बना सकता । इसमें कोई शक नहीं कि बहुतसी आत्माएँ ऐसी भी हैं जो प्राणपण से दूसरे की आत्माओं को सुखी बनाने की कोशिश करती हैं लेकिन वास्तव में वे उन्हें सुखी नहीं बना सकती किन्तु कभी कभी उन्हीं के द्वारा ऐसी घटना हो जाया करती है जो उस आत्मा को दुःखी बना देती है।
वनारस २३ अगस्त १९१९ संसार में मनुष्य को सुख समागम बहुत दिनों तक नहीं रह सकता। यदि मनुष्य को धन जन आदि से परिपूर्ण सुख भी हुआ तथापि मनुष्य का हृदय ऐसा है कि उसमें एक न एक दुःख का अंकुर उग ही उठता है ।
बनारस ९ सितम्बर १९१९ __क्या संसार में सचमुच अन्याय का राज्य हो गया है ? भारतवर्ष को दूसरे देश के लोग इसतरह घृणासे देखते हैं कि जैसे हमारे यहां लोग भंगी चमारों को देखते हैं और इसका कारण परतन्त्रता ही बतलात हैं । अमेरिका के लोगों का कहना है कि भारत ३० करोड़ आदमियों के रहते हुए भी छोटी सी अंग्रेजी सेना के वश में है भारत जैसा नामर्द कोई नहीं मालूम होता............"।
बनारस ९ नवम्बर १९१९ . . आज जब मैं भोजन करके उठा तब मेरे हृदय में बहुत अच्छे विचार. आये. जिससे यही इच्छा होती थी कि सर्वस्त्र