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आत्मकथा को उभार दिया था । इसलिये इस महान् कष्टमें भी हम दोनों काफी सुखी रह सके थे । सुख वास्तव में भीतर की चीज है । समवेदना में जो सुख हैं उसकी बराबरी कोई भी भौतिक सुख नहीं कर सकता । हृदय का सिंहासन सोनेके सिंहासन से असंख्यगुणा कीमती . है-यह बात नव-दम्पति को ही नहीं किन्तु हरएक व्यक्तिको सदा ध्यान रखना चाहिये।
" गृह-प्रबंध के विषय में मेरी पत्नी को स्वराज्य प्राप्त था । मैं उससे बिना पूछे कोई बड़ा खर्च न करता था; ऐसा ही उसका नियम था । कुञ्जियाँ दोनों के पास एक सरीखी थीं। इस स्वतंत्रता से कभी कोई नुकसान नहीं हुआ। मितव्ययता में पुरुष की अपेक्षा स्त्रियाँ श्रेष्ठ होती हैं। हां, बहुतसी स्त्रियों में आभूषणप्रेम होता है, परन्तु इसका कारण उनको श्रृंगारप्रियता नहीं किन्तु स्त्री-धन बढ़ाने की आकांक्षा है । वे बेचारी आभूषणों के द्वारा ही थोड़ी बहुत सम्पत्ति अपने अधिकार में ला पाती हैं। वर्तमान दशाको देखते हुंए यह क्षन्तव्य है । हां, आभूषणों की आकांक्षा इतनी न बढ़ जाय कि घरकी पूजी ही खतम हो जाय या आवश्यकता से कम हो जाय, आभूषणों के लिये स्त्रियों को प्रेमके सिवाय दबाव न डालना चाहिये । मेरी पत्नी मुझे समझाकर ही आभूषण बनवाती थी। मुझसे छिपाकर उसने कोई काम नहीं किया। : यहां मैं पत्नियों से कह देना चाहता हूँ कि वे चोरी से धनका व्यय कदापि न करें। जो कुछ खर्च हो पति-पत्नी की सहमतिसे हो, तथा आर्थिक शक्ति के अनुरूप हो । इस प्रकार दोनोंको लाभ है । पत्नी स्वामित्वका वास्तविक अनुभव कर सकती है और