Book Title: Aatmkatha
Author(s): Satya Samaj Sansthapak
Publisher: Satyashram Vardha

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Page 301
________________ उपसंहार [ २८७ सत्य अहिंसा के चरणों को चूम चूम हुई नई दुनिया अब मेरी मेरा सतयुग चतुर खिलाड़ी बन कर खेला खुलकर खेल दिखाया । मैंने प्रभुका दर्शन पाया ॥ ५ ॥ मस्ताया । आया ॥ मैंने प्रभुका दर्शन पाया ॥ ६ ॥ इस गीत को गाने का आज मैं कितना अधिकारी हूँ नहीं कह सकता, पर मुझे विश्वास है कि एक दिन गा सकूँगा ।

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