________________
विजातीय-विवाह-आंदोलन
[१७७
की चिन्ता बही क्योंकि पंचायतों का तथा जनसाधारण का मेरे पक्षमें आना सफलता की गहरी छाप लगजाना था। इसलिये विरोधियोंने यह सोचा कि किसी तरह मेरी आजीविका छुड़ाई जाय तो मेरी अक्ल ठिकाने आजायगी । और वे लोग इसी बात को लेकर आन्दोलन करने लगे । सेठ हुकुमचन्दजी आदि पर भी इस बात पर जोर डाला जाने लगा । पर सेठ हुकुमचन्दजी भी मेरे पक्षमें थे या होगये थे इसलिये उनने ध्यान न दिया ।
. इसी समय तिलोकचन्द हाइस्कूल के संचालक ने मुझसे हाइस्कूल में अध्यापक हो जाने के लिये कहा । मैंने भी सोचासंस्कृत विद्यालयपर विरोधियों का अधिक दबाव पड़ सकता है इसलिये हाइस्कूलं चला जाऊं तो अच्छा ही है पर फिर सोचा कि इस विषयमें सेठ हुकुमचन्दजी से सलाह लेलेना चाहिये । इसलिये मैं उनके पास गया । जब मैंने अपना इरादा बताया तो वे चकित होकर वोले-यह क्या कहते हो आप ? मेरे रहते ये लोग आपका क्या कर सकते हैं ? आप विलकुल निश्चित रहिये, मैं इन सब को देख लूंगा आदि । इसके बाद उनने विजातीय विवाह का खूब सम• र्थन किया। इस तरह निश्चित होकर मैं चलने लगा और दस पांच कदम चला भी कि सेठजी ने फिर बुलाया और कहा-देखिये, आप विलकुल निश्चिन्त रहिये, ये लोग आपका कुछ नहीं कर सकते आप निश्चिन्तता से काम कीजिये, डटकर आन्दोलन कीजिये । फिर मैं चला। अब की बार आधे जीने तक आगया कि सेठजीने फिर बुलाया और फिर निश्चित रहने की बात कही और कहा-आपको