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सिवनी में कुछ नाह
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की तरह आप काम न करें, कुछ अधिक करें । अगर यह अनुरोधः प्रेम का होता तब तो कोई बात न थी. परन्तु इस अनुरोध के पीछे. कुछ अधिकार का ज़ोर था, नया जीवन और छोटी उम्र होने से. अनुभव हीन तो था ही, मैंने, मान लिया कि इससे मेरा अनुमान हुआ है इसलिये दूसरा स्थान ढूँढकर मैंने बनारस का विद्यालय छोड़ दिया | जब चलने लगा और विद्यार्थियों ने हिन्दी और संस्कृत में मानपत्र दिने और रोये तत्र मुझे माम हुआ कि यहाँ मैं समवयस्क विद्यार्थियों की भक्ति पाकर सोभाग्यशाली था । यह: स्थान छोड़कर अच्छा नहीं किया पर यह स्वज्ञान वैराग्य बहुत देर तक न रहा और बनारस छोड़ दिया |
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(१६) सिवनी में कुछ माह
सिवनी को अगर मैं अपनी सुरकता की जन्मभूमि कहूँ तो इसमें कुछ अतिशयोक्ति न होगी, सिवनी में कुछ महीने ही रहा, विद्या वृद्धि के लिये यहां कोई अनुकूल अवसर न था फिर भी किताब छोड़कर सीधे जगन को पढ़ने का बीजारो रण यहीं हुआ ।
जब में विनी पहुंचा तब मेरी उम्र वीस वर्ष कुछ माह थी, मुछे नहीं थीं, यद्य यद्वा विद्यालय सरीखे विद्यालय में एक वर्ष अध्यापकी कर चुका था फिर भी देखने में लड़का सा ही उगता था इसलिये जबतक विशेष सम्पर्क में नहीं आया लोग मुझे देखकर बड़े निराश हर कि यह लड़का क्या पढ़ाया ! एक सज्जन, जो समाज में बहुत प्रतिष्ठित और चते -पुर्जे थे जिन्हें में सिवनी पाठशाला का कर्ता च या अधिकारी समझता था,