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का पुनः प्रकाशन करवाया गया है । यह ग्रन्थ यन्त्र, मन्त्र, तन्त्र विषय का एक मात्र संदर्भ ग्रन्थ है। घण्टाकर्ण मन्त्र कल्प :
ग्रन्थमाला समिति ने १६वें पुष्प के रूप में घण्टाकर्स मन्त्र कल्पः ग्रन्थ का प्रकाशन करवाकर श्री दिगम्बर जैन चन्द्रप्रभु जिनमन्दिर अतिशयक्षेत्र तिजारा (अलवर) के प्रांगण में परमपूज्य श्री १०८ गणधराचार्य कुथुसागरजी महाराज के कर-कमलों द्वारा दिनांक ३०-१-६१ को करवाया है। इस महत्वपूर्ण ग्रन्थ में यन्त्र मन्त्र प्रकाशित किये गये हैं जिनके माध्यम से श्रद्धा सहित ग्रन्थ में वरिंगत विधि से उपयोग करने पर अनेक प्रकार के रोग शोक प्राधि-व्याधि से भव्य जीव छुटकारा पा सकते हैं ।
ग्रंथमाला समिति के कार्यों में यह बात विशेष उल्लेखनीय है कि यह ग्रंथमाला समिति सभी प्राचार्यो साधुओं विशिष्ट विद्वानों, पत्रों के प्रकाशकों, प्रकाशन खर्च में सहयोग करने वाले सभी दातारों को सभी प्रकाशन व्यक्तिगत रूप से भेंट करती है या मात्र डाक खर्च पर भिजवाती है।
इस प्रकार पाठकगण अवलोकन करे, कि ग्रन्थमाला समिति के सीमित आर्थिक साधन होते हुए भी इतने कम समय में उपरोक्त महत्वपूर्ण ग्रन्थों के प्रकाशन करवाने में सफलता प्राप्त की है । सभी ग्रंथ एक से बढकर एक है और सभी ज्ञानोपार्जन के लिए विशेष लाभकारी सिद्ध हुये है । ऐसे सभी प्राचार्यों साधुनों विद्वानों के विचार हमैं समय-२ पर प्राप्त होते रहे है, यह सभी सफलता परम पूज्य सभी प्राचार्यो व साधुओं के शुभाशीर्वाद के साथ-२ परमपूज्य श्री १०८ गणधराचार्य कुन्थु सागरजी महाराज व श्री १०५ गणिनी आर्यिका विजयामती माताजी के शुभाशीर्वाद से हो सका है । इसके लिये हम सभी कृतज्ञ है और उनके चरणों में नतमस्तक होकर शत-२ बार नमोस्तु अर्पित करते हैं।
___ मुझे प्राशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि पाठक गण ग्रथमाला समिति द्वारा प्रकाशित ग्रंथों का स्वाध्याय कर के पूर्ण ज्ञानोपार्जन कर रहे हैं और आगे भी इस ग्रन्थमाला से जिन महत्वपूर्ण ग्रंथों का प्रकाशन होगा उनसे पूर्ण लाभ उठा सकेगें और त्रुटियों के लिये क्षमा करेंगे।
शान्ति कुमार गंगवाल
प्रकाशन संयोजक श्री दिगम्बर जैन कुन्थु विजय ग्रंथमाला समिति,
(जयपुर राज०)