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नागरीप्रचारिणी पत्रिका जाया या राष्ट्रीय श्री है उसे भी अय देकर तृप्त करना चाहिए। विष्णु के महान् जन्म को कहकर हम अपने पूर्व पुरुषों के साथ जुड़ते हैं।
'ओ जिवना मानता है वह स्तवन करनेवाला यथाविद् कहकर विष्णु को तुष्ट करता है। प्रत्येक गायक महान् विष्णु की सुमति चाहता है, वह साधना से प्राप्त होती है।
'विष्णु उत्सम पर को, सर्वाधिक प्राण को धारण करता है। विष्णु का सखा इंद्र है। इंद्र सुकृत और विष्णु उससे भी बढ़कर सुकृततर है। विष्णु आर्यजन को रक्षा करता है।' जन विष्णु है, राजा इंद्र है। इन दोनों का परस्पर सख्य भाव है। उत्तम द विष्णु के पास ही रहता है।
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