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साहसांक विक्रम और चंद्रगुप्त विक्रमादित्य की एकता
(क) या च खरणादसंहिता भट्ठारहरिचन्द्र कृता श्रूयते * । (ख) भट्टारहरिचन्द्रेण खरणादे प्रकीर्तिता ४५ ।
इन लेखों से ज्ञात होता है कि साहसांक का समकालीन भट्टार हरिश्चंद्र खरणाद-संहिता का कर्ता था । क्या इस खरनाद शब्द का संबंध गदभिल्ल नाम से हो सकता है।
२५ – वृ ंदुमाधव नामक आयुर्वेदीय ग्रंथ की श्रीक* ठदत्तविरचित कुसुमावली टीका में हरिचंद्र के प्रथ का एक श्लोक उधृत हैकेचिदिह सैन्धवादोनां मानभेदार्थं नातिप्रसिद्धं हरिश्चन्द्रमतमुपदर्शयन्ति हरीतकी हरिहिहरतुल्यषङ्गुणा चतुर्गुणां चतुरहिषिलासपिप्पली । द्विचित्रकं वरदवरैकलैन्धव' रसायनं कुरु नृप वह्निदीपनम् † ॥ इति ॥
इस श्लोक में हरिचंद्र एक नृप को संबोधन करके कहता है । यह नृप या तो कोई गर्द भिल्ल होगा या साहसांक विक्रम ।
हरिचंद्र और साहसांक विक्रम अथवा चंद्रगुप्त का संबंध अन्यत्र भो प्रसिद्ध है -
२६ - संवत् ९५० के समीप का महाकवि राजशेखर अपनी काव्यमीमांसा में लिखता है
श्र यते वोज्जयिन्यां काव्यकारपरीक्षा
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इह कालिदासमेण्ठावत्रामर- सूर- भारवयः ।
हरिचन्द्रचन्द्रगुप्तौ परीक्षिताविह विशालायाम् ॥६
अर्थात् काव्यकार हरिचंद्र और चंद्रगुप्त उज्जयिनी में परीक्षित हुए । यह हरिचंद्र तो भट्टार हरिचंद्र हो है और चंद्रगुप्त निश्चय ही साहसांक विक्रमादित्य है ।
* कल्पस्थान, आठव अध्याय ।
+ वही आठवें अध्याय का त
+ षष्ठः, अजीर्ण रोगाधिकारः, पृ० १०९ । $ दशम अध्याय ।
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