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गौतमीपुत्र श्री शातकर्णि की विजय-प्रशस्ति .. [लेखक-श्री कृष्णदत्त वाजपेयी ]
यह ११ पंक्तियों का प्राकृत लेख बंबई हाते के नासिक नामक स्थान के पास तिराहु (निरश्मि) पर्वत की तीसरी गुफा में खुदा हुआ मिला है। सातवाहन-वंश के प्रसिद्ध सम्राट् गौतमीपुत्र शातकर्णि की माता गौतमी बालश्री ने अपने पोते वासिष्ठीपुत्र पलुमायि के १९वे राज्यवर्ष में इस पवत पर एक लेण या गुफा ( लयन) बौद्ध भिक्षुओं को दान की थी। इस लेख में उसके उल्लेख के साथ साथ बालश्री ने अपने स्वर्गीय प्रतापी पुत्र के पराक्रमपूर्ण गुणों का भी वर्णन किया है
(१) सिद्धं रखो वासिठीपुतस सिरि पु मायिस सवीरे एकुन वीसे १९ गिम्हाण पखे बितीये २ दिवसे तेरसे १३, राजरनो गौतमीपुतस; हिमवत् . मेरु(२)मदर-पवतसमसारस; असिक असक-मुलक - सुरठ- कुकुर - प्रापरतअनुप-विदभ-पाकरावति-राजस; विझ-छवत-पारिचात-सह्य-करहगिरि-मच-सिरि. टन-मलय-महिद (३)सेटगिरि:- चकोर पवतपतिस; सव राजलोकमडलपति. गहीतसासनस; दिवसकरकरविबोधितकमलविमल-सदिस-वदनस; तिसमुदतोयपोत-बाहनस; पटिपुणचदमडलससिरीक (४) पियदसनस; वरवारणविकमचारुविकमस; मुजगपतिभोगपीनवाटविपुलदीपसुदरमुजस; अभयादकहानकिलिननिभयकरस; अविपनमातु सुसूसा करस; सुविभततिवग-देसकालस; (५) पोरजन निविसेससमसुखदुखस; खतियदपमानमदनस; सक-यवनपल्हवनिसूदनस; धमोपजितकरविनियोगकरस; कितापराधेपि सतुजने अपाणहिसारुचिस; दिजावरकुटुवविवधनस; (६) खखरातवसनिरवसेसकरस; सातवाहनकुलयसपतिथापनकरस; सबमडलाभिवादितचरणस; विनिवतित चातुव. णसकरस; अनेकसमरावजितसतुसघस; अपराजित विजयपताकसतुजनदुपघसनीयपुरवरस; (७) कुलपुरिसपरपरागतविपुलराजसदस; आगमाननिलयस; सपुरिसानं असयस; सिरीय अधिठानस; उपचारान पभवस; एककुसस; एक
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