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... विक्रम संवत् और विक्रमादित्य ये विक्रमादित्य मालव गण में थे या सातवाहन-वंश में, इसका निर्णय करने के पूर्व पुरातत्व को अन्य सामग्री के लिये रुक जाना पड़ता है। विक्रमादित्य और उनके नवरत्नों की जो कमाएँ हैं उनका जन्म भी जैन अनुभुति के बाहर अन्य क्षेत्रों में हुआ, अतएव नवरत्नों का संबंध संवत् के संस्थापक विक्रमादित्य के साथ जोड़ना अनिवार्य नहीं है। हमारी सम्मति में कालिदास जिन विक्रमादित्य के समय में थे वे गुप्तवंशी सम्राट् चद्रगुप्त विक्रमादित्य ही हैं। विक्रम संवत् की तरह आरंभ की शताब्दियों में शक सवात या गुप्त सवत् के साथ भी उसके संस्थापक के नाम या संवत् के नाम का उल्लेख शिलालेखों में नहीं पाया गया। अतएव विक्रम संवत् के संबंध में ही यह घुदि विशेष रूप से नहीं है। जान पड़ता है कि सभी संवत्सरों की गामा शुरू में इसी तरह निर्विरोष रूप से होती थी।
* शक संवत् का सष्ट नाम सर्वप्रथम शक १८० (-०५८) की एक घटना के संबंध में एक बैन ग्रंथ की पुष्पिका में पाया है (दे० माइखोर पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट, १९०८-९ पृ.० ३१, १९०९.१०, पैरा ११५)। [स्मिथ, प्राचीन इतिहास,
४९३, पावटिप्पणी]
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