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पानपर्व का एक अध्ययन
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(४,२,४५ ) में इसी अवतरण में पतंजलि ने उपशालि द्वारा दी गई क्षुद्रकमालवी सेना का वर्णन किया है ।
सिकंदर के इतिहासकारों ने क्षुद्रक- मालवों को नाम से संबोधित किया है। ये बड़े वीर होते थे । अनुसार सिक्नी और हिरावती के बीच के दोआब इसका बढ़ाव सिक्नी तथा सिंधु के संगम तक था। के समीप थी ।
श्रक्षुद्रकाइ तथा मल्लोई मल्लों का देश एरियन के
शौडिक - (४८/१५ ) संस्कृत कोषकारों के अनुसार शौडिक शराब बेचनेवाले थे (अभिधानचि ० ) । उनके स्थान का कोई पता नहीं। शायद उनका संबंध पंजाब के सोंधी खत्रियों से रद्दा हो ।
में था ( इंडिका, ४ ) । इनकी राजधानी मुल्तान
अंग-वरंग - ( ४८-१५) अंग देश बिहार में भागलपुर जिला है । वांग पूर्वी बंगाल का नाम था ।
पुंड्र - (४८/१५ ) इनका संबंध ताम्रलिप्तों से है ( सभा० ४८, १७ ) । पौराणिक अनुश्रुतियों के अनुसार पौड़ देश की पहचान छोटा नागपुर से है मार्क ० ० पु० ३,२९ ) । शास्त्री के अनुसार (कनिंघम, ज्योग्रफी पृ० ७२३-२५) पौंड्र देश मालदा, पूर्णिया, दीनाजपुर, राजशाही के कुछ जिलों से बना था ।
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शाणवस्य - ( ४८, १५ ) इनका संबंध गया लोगों से है । इनक पहचान आधुनिक संथाल लोगों से है ।
गया (४८/१५ ) - सुप्रसिद्ध है ।
कलिंग (४८/१७ ) - महाभारत (अरण्य० ११४, ४१ ) में कलिंग देश वैतरणी नदी के पास स्थित कहा गया है । यह नदी उसकी उत्तरी सीमा थी । इससे यह प्रकट होता है कि प्राचीन कलिंग वैतरणी नदी के दक्षिण का हिस्सा तथा विजिगापट्टम के पास तक समुद्र-तट पर था ।
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ताम्रलिप्ति - (४८/१७) बहुत प्राचीन काल से ही ताम्रलिप्ति बंगाल की खाड़ी पर था । यहीं से अशोक ने भिक्षुओं को सीलोन भेजा था ( महावंश ११, ३८ ) । इसकी पहचान आधुनिक तामलुक, जो रूपनारायण नदी पर बसा है, से होती है।
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