Book Title: Vikram Pushpanjali
Author(s): Kalidas Mahakavi
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 194
________________ १८६ नागरीप्रचारिणी पत्रिका . वंग, कलिंग, ताम्रलिप्ति तथा पुडों द्वारा भेंट (४८, १७.२०) - दुकूल-(४८.१७) एक प्रकार का बहुत महीन कपड़ा जो दुकूल वृक्ष के रेशों से बनाया जाता था। शायद इसकी पहचान रोमन लेखकों के बॉइसॉस से की जाती है ( वार्मिग्टन, वही, पृ० २१०)। कौशिक-(४८।१७ ) इस बात का पता लगता है कि इस काल में बंगाल में सिल्क का व्यापार था। किष्किंधाकांड में कोशकारों के देश का वर्णन आया है (लेवी, जे०. ए० १९१८, जनवरी-फरवरी ७३-७४)। पत्रोण-(४८.१७) संस्कृत में एक वृक्ष-विशेष का नाम है। कोषों में बुने हुए सिल्क के वस्त्रों के लिये इस शब्द का व्यवहार हुआ है। प्रावर-(४८।१७) प्रावार एक बाह्य वस्त्र या चादर था। ऐसा पता लगता है कि कुछ व्यापारी केवल चादर बेचते थे। साँची के एक अभिलेख में प्रावारिक शब्द आया है ( सांची, जिल्द १, पृ० ३१३)। सोमेश्वर के मानसोल्लास (जिल्द २, पृ०५९, श्लो० ३३) में कई तरह की चादरों का वर्णन आया है, जिससे प्रकट होता है कि ये केवल चादर के व्यापार में प्रवीण थे। हाथी-(४८।१९-२०) इस संबंध में कई बाते उल्लेखनीय हैं। पहली यह कि हाथी काम्यक सर से आए। कुछ लोग काम्यक सर की पहचान कामरूप से कर सकते हैं, पर महाभारतकार ने प्राग्ज्योतिष शब्द का व्यवहार किया था, कामरूप का नहीं। महाभारत (३, ८४, १६) में काम्यक वन का वर्णन है, जहां युधिष्ठिर यात्रा में गए थे। पहले युधिष्ठिर नागपुर (३, ९०, २३ ) गए और काम्यक वन में तीन दिन रहे (९०, १४)। इसके बाद पांडवों की यात्रा के बारे में और कोई वर्णन नहीं। उनकी दूसरी यात्रा फिर नैमिषारण्य से शुरू होती है (९०, २३)। इस यात्रा में नागपुर की पहचान छोटा नागपुर से हो सकती है, और काम्यक वन इसी के आसपास कोई जंगल रहा होगा। छोटा नागपुर में काम्यक ऐसी कोई बड़ी झील नहीं, पर छोटा नागपुर का प्रदेश उड़ीसा तक बढ़ा होगा, और इसलिये हम काम्यकसर का पहचान चिलका से कर सकते हैं। यहाँ हाथी काफी तादाद में मिलते थे। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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