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भारत और अन्य देशों का पारस्परिक संबंध
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ऊपर कहा जा चुका है कि सप्तम शताब्दि तक मलायेशिया के सपूर्ण भाग हि ंदू आवासकों द्वारा आवासित किए जा चुके थे। उन प्रदेशों में सैकड़ों . राजा स्वतंत्रतापूर्वक शासन कर रहे थे । कोई ऐसा शक्तिशाली राजा न था जिसकी अधीनता सभी स्वीकार करते हों । अब शैलेंद्र नामक नई शक्ति उत्पन्न हुई। ये शैलेंद्र लोग भारत से आए थे । ७वीं सदी में इन्होंने कलिंग बर्मा की ओर प्रस्थान किया और टवीं शताब्दि में बर्मा जीतकर मलायेशिया पर आक्रमण आरंभ किए। ८वीं शताब्दि में मलाया प्रायद्वीप, सुमात्रा तथा जावा भी इनके अधीन हो गए । इन्होंने इस संपूर्ण प्रदेश का नाम अपने देश की स्मृति में कलिंग रखा। इनका धर्म महायान बौद्ध था । बोरोबुदूर तथा कलरसन के बौद्ध मंदिर इन्हीं की कला के साकार रूप हैं। शिलालेखों से पता चलता है कि चंपा और कंबुज पर भी इनका अधिकार था । ११वीं शताब्दि में इनके अनेक प्रतिस्पर्धी उत्पन्न हो गए । एक ओर तो जावा राजा और दूसरी ओर चोल लोग इनसे टक्कर लेने लगे। इस संघर्ष में जावा को पूर्णतया परास्त कर दिया गया । अब चोल लोग रह गए। पूरे सौ वर्ष तक चोलों के साथ निरंतर संघर्ष होने के कारण शैलेंद्रों की शक्ति बहुत क्षीण हो गई । यद्यपि इसके तीन सौ वर्ष बाद तक शैलेंद्रों का सितारा जगमगाता रहा, परंतु अब उसका पिछला प्रभाव नष्ट हो चुका था । १४वीं सदी जावा के राजा ने वह सब प्रदेश, जो शैलेंद्रों के अधीन था, अपने अधिकार में कर लिया, पर वे इसे स्थिर रूप से अधीन नहीं रख सके । १५वीं सदी में मलाया प्रायद्वीप में जो विविध राज्य उद्भूत हुए उनमें मलका सबसे मुख्य था । १४८६ ई० के एक लेख से ज्ञात होता है कि इस समय तक मलक्का में इस्लाम का पाया जम चुका था । गुजरात और ईरान के मुसलमान व्यापारी मलक्का में बसने लगे थे । इन्होंने इस्लाम के व्यापार में बहुत हाथ बँटाया । यद्यपि जनता का धर्म बदल गया फिर भी भारतीय संस्कृति का समूल नाश नहीं हुआ । आज भी जब कोई यात्री मलका के तट पर उतरकर सरकारी भवन की ओर पग बढ़ाता है तो उसे पहाड़ी पर बनी प्रतिमाएँ दृष्टिगोचर होती हैं जो यह सिद्ध करती हैं कि कभी यहाँ के शासक हिंदू थे ।
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