Book Title: Vikram Pushpanjali
Author(s): Kalidas Mahakavi
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 229
________________ भारत और अन्य देशों का पारस्परिक संबंध २१९ बगदाद से स्पेन तक फैलाया और स्पेन द्वारा यह संपूर्ण योरुप में फैल गई । भारतीय ज्योतिष का अरबों पर इतना प्रभाव पड़ा कि जहाँ पहले खलीफाओं के दरबार में ईरानी ज्योतिषी रहा करते थे वहाँ मंसूर के समय हिंदू ज्योतिषी रखे गए। भारतीय चिकित्सा पद्धति का भी अरबों में प्रसार हुआ । खलीफा हालेँ रशीद को अच्छा करने के लिये भारत से माणिक्य नामक वैद्य को बुलाया गया था। नवीं शताब्दि में अरब से कुछ व्यक्ति जड़ी-बूटियों का ज्ञान प्राप्त करने के लिये भारत भेजे गए और कुछ भारतीय पंडित चिकित्सा संबंधी प्रथों के अनुवाद कार्य में लगाए गए। चरक, सुश्रुत, पशु-चिकित्सा, स्त्रीरोग, सर्पविद्या आदि विषयों की पुस्तकें अरबी में अनूदित की गई । भारतीय संगीत से अरबों को बहुत प्रेम था । इस विषय के संस्कृत ग्रंथों का भी अरबी में उल्था हुआ। भारतीय धर्म के प्रति भी अरबों को बहुत दिलचस्पी थी। यहिया बरमकी ने एक व्यक्ति को इसलिये भारत भेजा था कि वह यहाँ की औषधियों और धर्मों का वृत्तांत लिखकर ले जाए। चीनी यात्रियों की तरह बहुत अरब लोग भी विद्याध्ययन के लिये भारत आए। इनमें से एक बैरूनी थी । यह चालीस वर्ष तक भारत में रहा । यहाँ रहकर इसने सांस्कृत सीखी, विविध धर्मों का अनुशीलन किया और स्वदेश लौटकर भारत को तात्कालिक दशा का चित्रण करते हुए कई प्र'थ लिखे। भारतीय दर्शन, साहित्य, गणित, ज्योतिष, चिकित्साशास्त्र आदि द्वारा अरबों के हृदयों में भारतीयों के प्रति अटूट श्रद्धा पैदा हो गई थी और बहुधा वे अपने इन भावों को लेखों में प्रकट भी करते थे । अरबी साहित्य ऐसे उद्गारों से भरा पड़ा है। इस प्रकार “मुझे सौंसार के साम्राज्य की इच्छा नहीं; स्वर्ग-सुख तथा मोक्ष को भी मैं नहीं चाहता, मैं तो परिताप पीड़ित प्राणियों की दुःख निवृत्ति चाहता हूँ" इस भावना से भरे हुए, सेवा के परम व्रत से दीक्षित, प्राणिमात्र की कल्याण - कामना से जलते हुए इन भारतीय प्रचारकों ने स्त्री-पुत्र, घरबार, धनधान्य, तन-मन, प्रिय से प्रिय पदार्थ तथा बड़े से बड़े स्वाथ का बलिदान कर भारतीय संस्कृति को हिमालय और समुद्र के पार पहुँचाने का अथक प्रयत्न किया। जो महापुरुष इस यज्ञ में सफल हो गए और जिनके प्रातः स्मरणीय नाम आज भी इतिहास के पृष्ठों में अंकित हैं उनसे अतिरिक्त भी न मालूम Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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