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गौतमीपुत्र श्री शातकर्णि की विजय-प्रशस्ति १३५ धनुधरस; एकसूरस; एक बम्हणस; (८) राम-केसवा जुन-भीमसेन-तुलपरकमस; छंणघनुसवसमाजकारकस, नाभाग-नहुस-जनमेजय-सकर-ययाति-राम- . आबरीस-समतेजसा अपरिमितम् अखयम अचितम् अभ्युत पवन-गरुड-सिधयख-रखस; विजाधर भूतगधव-चारण (९)-चद-दिवाकर-नखत-गह विचिण समर सिरसि जितरिपु सघस; नागवरखधा गगनतलम् अभिविगाढस;कुलविपुलसिरिकरस; सिरि सातकणिस (1) मातुय महादेवीय गतिमिय बलसिरीय; सचवचनदानखमाहिसानिरताय; तपदमनिय( १०)मोपवास तपराय, राजरिसि वधुसदम् अखिलम् अनुविधीयमानाय; कारित देयधम; (कैलास) सिख रसदिसे तिराहुपवतसिखरे विमानवरनिविसेस महिढीक लेण (1) एत च लेण महादेवी , महाराजमाता, महाराजपपितामही ददाति निकायस भदावनीयानं भिखुसघस (0) (११) एतस च लेणस चितण निमित, महादेवीय अयकाय सेवकामो पियकामो च, णत...( दखिना)पथेसरो पितुपतीयो धमसेतुस ददाति गाम तिरहुपवतस अपरदखिणपसे पिसाजि पदक (1) सवजातभोगनिरठि (1)
- हिंदी अनुवाद सिद्धि ! गजा वासिष्ठीपुत्र पुलुमायि के उन्नीसवे (१९३) सरसर में, प्रीष्म पक्ष दूसरे २, दिन तेरहवें १३ को राजाओं के राजा गौतमीपुत्र जो हिमालय, सुमेरु, मंदार पर्वतों के सदृश सारवान् थे; जो असिक', अश्मकर, मुलक', सुराष्ट्र', कुकुर', अपरांत, अनूप , विदर्भ, आकर' और अवंती के राजा थे; जो विंध्य, ऋक्षवत्११, पारियात्र'२, सह्य, कृष्णगिरि, मच,
१-असिक=ऋषिक या मुषिक (8)। २- गोदावरी के निचले कोठे का प्रांत । ३-पैठण या प्रतिष्ठान के आस-पास का प्रदेश। ४-अाधुनिक काठियावाड़। ५.- वर्तमान गुजरात का पूर्वी या दक्षिणी भाग। ६- उत्तरी कोंकण । ७-नर्मदा के उत्तरी कोठे का प्रदेश, राजधानी माहिष्मती (मांधाता)। ८-याधुनिक बरार के पश्चिमी भाग। ९-पूर्वी मालवा। १०-पश्चिमी मालवा। ११-श्राधु. निक सतपुरा पर्वत । १२-विंध्य का पश्चिमी भाग। १३-सह्याद्रि। १४बंबई के थाना जिले में स्थित पहाड़ी। १५-इसकी पहचान नहीं हो सकी है
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