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उपायनपर्व का एक अध्ययन
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पन्ने की खाने हैं (फेरियर- कैरवान जर्नीज एंड वांडरि ंग्स इन पर्शिया, अफगानिस्तान एटस०, पृ० ५१-५३) । ऐमाकों में निम्नलिखित चार कबीले हैं— जमशेदी, हजारा, फोरोज कोही और तैमनी । इनका देश पठार है जिसे सैकड़ों वर्षो से नदियों ने बहुत कुछ काट दिया है ( होल्डिश, वही, २१४-१५ ) । उदुंबर - (४८/१२ ) औदुंबरों के सिक्के आधार पर दुबरों का देश काँगड़ा जिले का पूर्वी घाटी में था ( एलन, वही ७०,७ ) ।
पाए गए हैं। इनके हिस्सा यानी सतलज की
पाणिनि ( ४, २, ५३ ) के गणपाठ में औदुंबर जालंधरायणों के बगल में रखे गए हैं। मूलसर्वास्तिवादों के जीवक की तक्षशिला से भद्र कर, उदु बर रोहितक तथा मथुरा की यात्रा का उल्लेख है ( प्रिजुलस्की, ज० ए० १९२७, पृ० ३ ) । इससे यह पता चलता है कि औदुंबर की स्थिति उस राजमार्ग पर थी जो शाकल, अमोदक, रोहतक से होते हुए तक्षशिला जाता था ( वही, १७,१८) । इनकी भौतिक समृद्धि के सूचक इनके सिक्के हैं जो बहुत बड़ी संख्या में पाए गए हैं । इनके देश में कुटंबर कपड़े बनाए जाते थे ( मिलिंद पन्छ, चकनर का संस्करण, पृ० २ ) ।
महाभारत में इनके लिये 'दुर्विभागाः' विशेषण आया है ( ४८, १२ ) । इस विशेषण का अर्थं विभक्त होता है और यह शाल्वों के संघ का द्योतक मालूम पड़ता है ।
वाह्नीक - ( ४८।१२ ) इन्हें उत्तर में रहनेवाला कहा गया है। आदिपर्व (१६१/६ ) में वाह्लीक देश आधुनिक उत्तरी अफगानिस्तान के बल्ख कोत है।
कश्मीर - (४८।१३ ) ।
कुंदमान - (४८/१३ ) इस देश की पहचान कुट्टापरांत या कुंदापरांत से की जा सकती है। कुंदमान देश का आधुनिक नाम कूटहार पर्गेना है जो काश्मीर में इस्लामाबाद के पूर्व में है (स्टाइन, राजतरंगिणी, जिल्द २, पृ० ४६६ ) ।
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पौरक - ( ४८/१३) पौरकों का संबंध हंसकायनों से है । इस देश की पहचान चितराल एजेंसी के यासीन प्रदेश से की जा सकती है। यासीन
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