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विक्रमादित्य
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(३) उज्जयिनी के विक्रम का नाम विक्रमादित्य था, उपाधि नहीं । कथासरित्सागर में लिखा है कि उनके पिता ने जन्मदिन को ही उनका नाम शिवजी के आदेशानुसार विक्रमादित्य रखा; अभिषेक के समय यह नाम अथवा विरुद के रूप में पीछे नहीं रखा गया । इसके विरुद्ध किसी गुप्त सम्राट् का नाम विक्रमादित्य नहीं था । द्वितीय चंद्रगुप्त तथा स्कंदगुप्त के विरुद क्रमशः विक्रमादित्य और क्रमादित्य ( कहीं कहीं विक्रमादित्य भी ) थे । समुद्रगुप्त ने तो यह उपाधि कभी धारण ही नहीं की । कुमारगुप्त की उपाधि महेंद्रादित्य थी, नहीं । उपाधि प्रचलित होने के लिये यह आवश्यक है कि उस नाम का कोई लेाकप्रसिद्ध व्यक्ति हुआ हो जिसके अनुकरण पर पीछे के महत्त्वाकांक्षी लोग उस नाम की उपाधि धारण करें। रोम में सीजर उपाधिधारी राजाओं के पहले सीजर नामक सम्राट् हुआ था। इसी प्रकार विक्रम उपाधिधारी गुप्त नरेशों के पूर्व विक्रमादित्य नामधारी शासक अवश्य ही हुआ होगा । और
यह महापराक्रमी मालवगणमुख्य विक्रमादित्य साहसांक ही था ।
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