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साहसांक विक्रम और चंद्रगुप्त विक्रमादित्य की एकता
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व्यक्ति था । सब प्रमाणों में साहसांक पद एकवचन में आया है । उसके उत्तरवर्ती राजा या तो नव साहसांक आदि हुए या उन्हाने अपनी तुलना साहसांक से की।
संवत् प्रवर्तक विक्रम साहसांक ही विक्रम भी था
१२ - एक शिलालेख में निम्नलिखित संवत् पढ़ा गया हैविक्रमांक - नरनाथ-वत्सर ।
इस शिलालेख का सवत भी विक्रम संवत ही माना जाता है।
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१३- संस्कृत वाङमय में एक कालिदास और एक बिक्रम की समकालिकता अत्यंत प्रसिद्ध रही है। १५वीं शती ईसा के पूर्वाद्ध में संकलित सुभाषितावलि ग्रंथ में किसी कवि का एक श्लोकांश है
व्याख्यातः किल कालिदासकविना श्रीविक्रमाङ्को नृपः ।
इस पंक्ति से ज्ञात होता है कि विक्रम का विक्रमांक नाम बहुत विख्यात हो चुका था ।
१४ - संख्या १३ तक के लेख से यह स्पष्ट विदित होता है कि विक्रमादित्य, विक्रमार्क, साहसांक और विक्रमांक नाम एक ही व्यक्ति के थे । आश्चर्य है कि महाराज चंद्रगुप्त गुप्त की अनेक उपलब्ध मुद्राओं पर श्रीचन्द्रगुप्त विक्रमादित्यः, श्रीविक्रमादित्यः, विक्रमादित्यः और श्रीचन्द्रगुप्त विक्रमांक लिखा मिलता है। चंद्रगुप्त विक्रम के लिये विक्रम पद उपाधिमात्र नहीं रहा था। वह तो उसका एक प्रिय नाम हो चुका था। इसी लिये उसकी मुद्राओं पर केवल विक्रमादित्य भी लिखा मिला है। उसके उत्तरवर्ती कुछ एक राजाओं ने विक्रम की उपाधि मात्र ही धारण की।
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संवत्-प्रवत' के साहसांक- विक्रम गुप्त वंश का चंद्रगुप्त विक्रम ही था १५ -- राष्ट्रकूट गोविंद चतुर्थ के शक ७९३ ( = संवत् १२८ ) के एक ताम्रपत्र में लिखा है
* प्रोसीडिंग्स ऑन दि ए० एस० बी०, १८८०, पृ० ७७, तथा ई० आई०, भाग २०, संख्या ४०१ ।
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