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नागरीप्रचारिणी पत्रिका श्रीविक्रमानुपकालातीत संवत्सराणाम्मेकषष्ठ्यधिकायमेकादशशत्यां माघशुक्नः ...। अर्थात् विक्रमाक या विक्रमादित्य के ११६१ वर्ष में...। यहाँ विक्रमार्क पद से विक्रमादित्य के ही संवत् का नामोल्लेख किया गया है।
विक्रम संवत् ही साहसांक संवत् कहा जाता था
६-विक्रमादित्य का संवत् साहसोक संवत् भी कहा जाता था। इस कथन की पुष्टि में निम्नलिखित तीन प्रमाण देखने योग्य हैं(क) व्योमार्णवार्कसल्याते साहसाङ्कस्य वत्सरे ।
महोबा दुर्ग का शिलालेख । संयुक्त प्रांत के हमीरपुर जिले में महोबा है। यह शिलालेख कनिंघम द्वारा आर्कियालाजिकल सर्वे आव इंडिया रिपोर्ट भाग २१, पृ० ७२ पर छपा है। पत्र-संख्या २२ पर इसकी प्रतिलिपि है। इंडियन एंटीक्वेरी भाग १६, पृ० १७६ पर भी इस लेख का विवरण है। इसमें साहसांक 'संवत् १२४० आषाढ वदी ६, सोमे' भी लिखा है।
यह संवत् निश्चय ही विक्रम संवत् है। (ख) नवमिरथ मुनीन्द्रर्वासराणामधीशैः
परिकलयति सङख्यां वत्सरे साहसाङ्क । _
महाराज प्रताप के काल का रोहतासगढ़ शैल का लेख । रोहतासगढ़ शैल विहार-उड़ीसा प्रांत के शाहाबाद जिले में है। यह शिलालेख एपिमाफिया इंडिका भाग ४, पृ० ३११ पर छपा है। इसमें संवत १२७९ का अभिप्राय है।
यह साहसांक संवत् भी निश्चय ही विक्रम संवत् है। (ग) चतुर्भूतारिशीतांशु(१६५२)भिरभिगणिते साहसाङ्कस्य वर्षे
वर्षे जल्लादीन्द्रक्षितिमुकुटमणेरप्यनन्तागमा(४०)भ्याम् । पञ्चम्यां शुक्लपक्षे नभसि गुरुदिने रामदासेन राशा विज्ञेनापूरितोऽय तिथितुलितशिखो रामसेतुप्रदीपः ॥
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