________________
शाकरी व्रत हे अद्वितीय सखे ! तुम्हारी विजय चिरजीवी हो।"
जिस समय इन महानाम्नी ऋचाओं के उत्कर्षशाली स्वर गूंजने लगते हैं उस समय सब प्रजाएं उसका अनुमोदन करती हुई पुकार उठती हैं
एवा होव। एवा ह्येव। एवा ह्यग्ने। एवा हि इन्द्र।
एवा हि पूषन् । एवा हि देवाः ॥ ऐसा ही होगा। अवश्य ऐसा ही होगा। . हे अग्नि, ऐसा ही होगा। हे इंद्र, ऐसा ही होगा।
हे पूषा, ऐसा ही होगा। और हे अन्य सब देवो, ऐसा ही होगा।
हमारे कम की शक्ति से जीवन की परिधि उत्तरोत्तर विस्तार को प्राप्त होगी और हमारे दृढ़ संकल्पों से सिंचित यह महावृक्ष युग-युगांत तक जीवन लाभ करता रहेगा।
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com