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विक्रम संवत्
[ लेखक – डा० अनंत सदाशिव अलतेकर एम० ए०, एलू- एल० बी०, डि० लिट्० ]
[ इस लेख में लेखक ने विक्रम संवत्सर संबंधी प्राचीन ऐतिहासिक सामग्री और अनुश्रुति का उल्लेख करते हुए सिद्ध किया है
(१) इस संवत्सर की स्थापना ५७ ईस्वी पूर्व में मालवगण राज्य में हुई ।
(२) इसका प्रारंभिक नाम कृत संवत्सर था ।
(३) इसके स ंस्थापक मालवगण या प्रजातंत्र के कोई कृत नामवाले प्रधान या सेनापति थे जिनके नाम पर संवत् का पहला नाम कृत पड़ा । पर इन कृत का ऐतिहासिक प्रमाण नहीं मिलता ।
(४) नवीं शताब्दी से कृत- मालव संवत् का नाम विक्रम संवत् प्रसिद्ध हुआ और यह नया नाम संभवतः चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के नाम पर रखा गया । - सं०]
विक्रम संवत् का श्रारभ ईसा के पूर्व प्रथम शताब्दि में हुआ
विक्रम संवत् ईसा के ५७ वर्ष पूर्व प्रारंभ हुआ यह बात निश्चित है, क्योंकि विक्रम संवत् की तिथियों और महीनों की शृंखला उसी अवस्था में जुड़ सकती है जब हम उपर्युक्त विधान को गृहीत मान लें । एक समय ऐसा था जब फर्ग्युसन के समान कुछ विद्वान् यह बतलाते थे कि ई० सन् ५०० तक विक्रम संवत् का अस्तित्व ही न था । सन् ५४४ में विक्रमादित्य नामक राजा ने हूणों को पराजित किया और उसी घटना के स्मरणार्थं उसने अपने नाम से नवीन संवत् का प्रारंभ किया। किंतु साथ ही साथ लोगों
* हिंदी में इस लेख को लिखने में मुझे अपने छात्र श्री जोशी, बी० ए० से बड़ी सहायता मिली है।
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